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रायपुर

स्मार्ट सिटी इफेक्ट : सरकार ने 200 परिवारों को थमाया नोटिस, कहा – खाली कर दो जमीन

स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत कारी तालाब के प्रस्तावित सौंदर्यीकरण में सरकारी निजाम मनमर्जी पर उतर गया है।

रायपुरJun 29, 2018 / 01:26 pm

Ashish Gupta

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स्मार्ट सिटी इफेक्ट : सरकार ने 200 परिवारों को थमाया नोटिस, कहा – खाली कर दो जमीन

मिथिलेश मिश्र/रायपुर. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत कारी तालाब के प्रस्तावित सौंदर्यीकरण में सरकारी निजाम मनमर्जी पर उतर गया है। पिछले कुछ सप्ताहों से तालाब के पास बसे करीब 200 परिवारों को उजाडऩे का अभियान शुरू हुआ है। पहले चरण में 90 परिवारों को उजाड़ दिया गया है।
दूसरे चरण में 60 परिवारों को नोटिस देकर हट जाने को कहा गया है। इनमें अधिकांश परिवारों ने वह जमीन खरीदी है, उनके पास उसके पंजीयन के दस्तावेज मौजूद हैं। शेष परिवारों के पास जमीन के पट्टे हैं। यह तब है जब प्रस्तावित परियोजना में तालाब के भीतर बने विद्युत उप केंद्र और उजाड़ी जा रही बस्ती के सामने बसे कुछ कॉम्पलेक्स को छोड़ दिया गया है। वहीं एक और प्लाजा तालाब की जमीन में ही बनाने की योजना प्रस्तावित है। सरकारी कार्रवाई के खिलाफ आसपास की बस्तियों में काफी आक्रोश है।
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तालाब से अलग बसी है बस्ती
स्थानीय निवासी नट्टू बताते हैं, कारी तालाब खसरा नंबर 133 में है। उनकी बस्ती खसरा नंबर 132 का टुकड़ा है। ऐसे में वे लोग तालाब में नहीं हैं, फिर क्यों उनको उजाड़ा जा रहा है। अगर तालाब को पुरानी स्थिति में लाया जाना है तब भी वह स्टेशन की ओर जाने वाली सड़क की ओर बढ़ेगा उनकी बस्ती की ओर नहीं। तालाब का राजस्व नक्शा और प्रस्तावित नक्शा भी अलग है।

जो उजड़ गए हैं उनका भी दर्द
कारी तालाब किनारे से उजाड़े गए बजरंग स्थानीय बाजार में मिर्ची बेचते हैं। उनको भाठागांव के बीएसयूपी मकान में शिफट किया गया है। उनको अब बाजार आने और बच्चों को स्कूल पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भाठागांव गई सरस्वती बताती हैं कि उनके दोनों बच्चों की पढ़ाई छूट गई है।

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बेरहमी से तोड़ डाले बरसों से बसाए घर
बस्ती की कुमारी बाई यादव बताती हैं, उनके घर को प्रशासन ने बेरहमी से तोड़ डाला। उनके पास जमीन का पट्टा भी है। सोरामणि कहार ने बताया, उनके घर को भी तोडऩे का नोटिस दिया है। कह रहे हैं कि हीरापुर बीएसयूपी के मकान में चली जाओ। घर में वे अकेली हैं, वहां गए तो रोजगार भी नहीं मिलेगा, जीवन कैसे चल पाएगा।

जनसुनवाई तो होनी चाहिए थी
नदी-घाटी मोर्चा के राज्य संयोजक गौतम बंद्योपाध्याय ने कहा कि सरकार की ही विस्थापन नीति के मुताबिक परियोजना से प्रभावित लोगों के बीच जनसुनवाई होनी चाहिए थी। प्रशासन ने ऐसा करना जरूरी नहीं समझा। अब भी टुकड़ों में कार्रवाई हो रही है, जिससे उनकी पूरी योजना संदिग्ध हो गई है। तालाब को पुराने स्वरूप में लाने की बात है, तो पूरा 7 एकड़ खाली कराएं जिसमें सरकार अतिक्रमण भी है। ऐन बरसात के समय लोगों का घर तोडऩा संवेदनहीनता है। प्रशासन को पूरे मसले पर फिर से विचार करना चाहिए।

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