मरीजों की निजी अस्पतालों पर कम सरकारी अस्पतालों पर ज्यादा निर्भरता हो, इस पर काम किया जा रहा है। बचत की राशि सरकारी अस्पतालों के उन्नयन, डॉक्टर और स्टाफ की नियुक्ति में खर्च की जाएगी। हालांकि नई नीति से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और हॉस्पिटल बोर्ड लगातार आक्रोशित हैं। आक्रोश की वजह निजी अस्पतालों के लिए इलाज के पैकेज को कम करना और पैकेज की राशि को घटना है।
बीमा योजना पर थी आपत्ति- पूर्व में आरएसबीवाई व एमएसबीवाई के तहत अनुंबधित बीमा कंपनी को 56 लाख परिवार के हिसाब से प्रति परिवार 1100 रुपए के सालाना प्रीमियम का भुगतान हो रहा था। वर्तमान सरकार को इस पर आपत्ति थी। कहा गया कि पूरे ५६ लाख परिवार इलाज करवाते ही नहीं, तो क्यों बीमा व्यवस्था को लागू रखा जाए।
अभी तक 180 पैकेज हुए आरक्षित-
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के लिए सरकार ने 180 बीमारियों के इलाज के पैकेज निर्धारित किए हैं। ये वे सभी बीमारियां हैं, जिनके इलाज की संपूर्ण व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में हैं। जैसे मोतियाबिंद सर्जरी, दंतरोग और सामान्य प्रसव पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों के लिए ही आरक्षित कर दी गई हैं। इसी सूची में कई हार्ट, लिवर, जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी के भी पैकेज हैं।
योजना के तहत पंजीयन शुरू-
डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत निजी अस्पतालों के पंजीयन के लिए पोर्टल खोल दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि कितने अस्पताल योजना में काम करना चाहते हैं और कितने नहीं।
सरकारी अस्पतालों को सुविधा संपन्न बनाने की कोशिश जारी है,ताकि मरीजों को लौटना न पड़े। सरकारी अस्पताल के लिए पैकेज आरक्षित होने से निजी अस्पतालों में होने वाला भुगतान बचेगा। डॉ. श्रीकांत राजिमवाले, राज्य नोडल अधिकारी, डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना
फैक्ट फाइल- 16 सितंबर 2018 से अब तक भुगतान 7,29,305- परिवारों के सदस्यों का हुआ उपचार 11,09,169- क्लेम अस्पतालों ने किए हैं 8,64,965- क्लेम का भुगतान किया गया 639.97 करोड़- अस्पतालों को किए गए हैं भुगतान
(नोट- यह आंकड़ा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता के हैं।)