न्यू राजेन्द्र नगर निवासी सुंदरलाल पाण्डेय अपनी पोती अक्षिता और काव्या के साथ।
रायपुरPublished: Sep 09, 2018 04:32:59 pm
Deepak Sahu
दादा-दादी या नाना-नानी रिश्तों की बगिया के वे बागवां होते हैं, जो हर दिन अपने परिवार को सहेजते हैं
ग्रैंड पेरेंट्स डे : जिंदगी की बगिया के बागबां होते हैं दादा-दादी, नाना-नानी…
रायपुर रिश्ते हमें बांधे रखते हैं, भटकने नहीं देते। घर में माता-पिता का प्यार वो अहसास है, जो हमें संवारता है, लेकिन हमें संवारने वालों में शिखर पर होते हैं हमारे ग्रेंड पेरेंट्स।
दादा-दादी या नाना-नानी रिश्तों की बगिया के वे बागवां होते हैं, जो हर दिन अपने परिवार को सहेजते हैं। बच्चों का दादा-दादी से अलग ही लगाव होता है। जब कभी कहानियां सुनने का मन हो, तो दादी की ही याद आती है और पापा के गुस्से से बचने के लिए दादाजी के पीछे बच्चे छुप जाते हैं। सही मायनों में देखा जाए तो बुजुर्ग ही घर की शान होते हैं। आज का दिन दुनिया में ग्रेड पेरेंट्स डे के रूप में मनाया जाता है, एेसे में आज हम रूबरू करा रहे हैं शहर के ऐसे परिवारों से जो दादा-दादी, नानी-नानी से समृद्ध हैं…
न्यू राजेन्द्र नगर निवासी सुंदरलाल पाण्डेय अपनी पोती अक्षिता और काव्या के साथ।