आदर्श ग्राम विकास की वह परिभाषा है जिसमें गांव की तस्वीर प्रदेश में एक मॉडल के रूप में देखी जाती है। लेकिन सांसद रमेश बैस द्वारा लिए गए आदर्श ग्राम गिरौद पहुंचने पर अलग नजारा देखने को मिला।
ramesh bais
रायपुर. आदर्श ग्राम विकास की वह परिभाषा है जिसमें गांव की तस्वीर प्रदेश में एक मॉडल के रूप में देखी जाती है। लेकिन सांसद रमेश बैस द्वारा लिए गए आदर्श ग्राम गिरौद पहुंचने पर अलग नजारा देखने को मिला। फसलों के साथ ही जिंदगियां भी कारखानों के प्रदूषण निगल रहे। राजधानी से लगे होने के बावजूद यहां आज तक यातायात की सुविधाएं बहाल नहीं हो सकी। शासकीय योजनाओं के लाभ से कई ग्रामीण आज भी वंचित नजर आए। सांसद यहां कब आए ग्रामीणों को याद ही नहीं है।
राजधानी से करीब 20 किमी दूर आदर्श ग्राम गिरौद में आदर्श जैसा कुछ नहीं है। यहां के सरपंच सीके नायक ने बताया कि यह सांसद आदर्श ग्राम है लेकिन यहां एक भी मुक्तिधाम नहीं है। लोगों के आर्थिक सहयोग से यहां मुक्तिधाम बनाने की जरूरत पड़ रही है।
अटल समरसता भवन बाउंड्रीवॉल की मांग वर्षों बाद भी पूरी नहीं हुई। कारखानों से होने वाले प्रदूषण के अलावा कांजी हाउस नहीं होने से फसलों को मवेशी चरकर बर्बाद कर देते हैं। रोजगार को लेकर सांसद, विधायक ने कोई पहल नहीं की। नाली बनने के लिए 76 लाख पास हुआ था, लेकिन वह भी नहीं मिला।
पंच ओम प्रकाश यादव ने बताया कि राजधानी से जुड़े होने के बाद भी यहां बैंक है न एटीएम। पंचायत आज तक इंटरनेट सुविधा से नहीं जुड़ पाया। सांसद ने ग्राम को गोद तो ले लिया। लेकिन विकास को लेकर जो अपेक्षाएं थी वह पूरी ही नहीं हो पाई।
योजनाओं का लाभ नहीं मिला तेजराम वर्मा ने कहा यहां सड़कें तो हैं लेकिन यातायात सुविधा के लिए तरस रहे। गांव आने के लिए चार किमी पैदल चलना पड़ता है। न बसें आती हैं न ही सिटी बस की सुविधा है। रोहित यादव ने बताया कि मुझे न शौचालय योजना का लाभ मिला न पीएम आवास का। राशन कार्ड के लिए भी कई बार आवेदन कर चुका हूं। थनवार बांधे ने कहा यहां दइहान पारा में सड़क निर्माण आज तक नहीं हुआ। बारिश में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय ही सांसद नजर आए फिर आज तक हमने नहीं देखा।
शिक्षा के नाम पर सिर्फ बिल्डिंग राजा नायक, बताया कि सांसद आदर्श ग्राम होने के बावजूद यहां यहां शिक्षा व्यवस्था दुरूस्त नहीं हो पाया। गांव में चार से पांच स्कूल है, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी है। जो यहां शिक्षक हैं उन्हें अन्य विभागों में अटैच कर दिया गया है।
मंदिर, मुक्तिधाम और कांजी हाउस की मांग अधूरी सरपंच नायक, राजकुमार, लीलाधर ढीमर, निलेश वर्मा, पंच संतोष कुमार ने बताया कि इस क्षेत्र में फसलों की पैदावार कम हो गई है। मुख्य कारण कारखानों के प्रदूषण से पूरी फसलें तबाह हो जाती हैं। बची खुची फसलों की कांजी हाउस न होने से गाय चर देते हैं।
इसके अलावा प्रदूषण की वजह से क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां झेल रहे हैं। यहां तालाब से सात वर्ष पहले भगवान की प्रतिमा निकली। पुरातत्व विभाग ने भी इसका सर्वेक्षण किया। लेकिन आज तक इसके रख-रखाव के लिए व्यवस्था हुई, मंदिर की मांग कर रहे हैं।
रायपुर सांसद रमेश बैस ने कहा, गिरौद ग्राम गोद लेने के बाद पहले और अभी की तुलना में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। कोई भी जाकर देख सकता और गांव वालों को भी पूछ सकता है। लोगों को शासन की हर योजनाओं का लाभ मिला है। सड़कों से लेकर मूलभूत सुविधाओं में किसी तरह की कोई कमी नहीं है। वहां हर स्तर पर विकास हुआ है। कुछ कांग्रेसी बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। सावन के अंधों को हरा ही हरा नजर आता है।