गिधवा-परसदा में करीब से दिखेंगे 'मेहमान'
पक्षी प्रेमियों का लगेगा मेला : 31 जनवरी से शुरू हो रहा मध्य भारत का पहला 3 दिवसीय पक्षी महोत्सव
स्थान- रायपुर-बिलासपुर रोड स्थित मुंगेली से 8 किमी की दूरी पर

रायपुर. प्रदेश सरकार 31 जनवरी से प्रदेश का पहला पक्षी महोत्सव का आयोजन करने जा रही है। बेमेतरा जिले के ग्राम गिधवा और परसदा में होने वाले 3 दिवसीय महोत्सव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। यहां साइबेरियन, मंगोलियन और बांग्लादेशी पक्षियों की 150 से अधिक प्रजातियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है। इन गांवों के जलाशयों में जहां तक नजर जाती है, वहां तक पानी और पक्षी ही पक्षी नजर आते हैं। गुरुवार को 'पत्रिकाÓ टीम इन गांवों तक पहुंची। जहां पर बेमेतरा कलेक्टर शिव अनंत तायल, डीएफओ दुर्ग धम्मशील गडवीर और वन विभाग के अधिकारी तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे। नोवा नेचर, बस्तर का क्रो फाउंडेशन के विशेषज्ञ भी यहां मौजूद थे। इन्होंने बताया कि पक्षियों के लिए यह जगह इसलिए उपयुक्त है क्योंकि उन्हें तालाब में पानी, खाना और बबूल के पेड़ों में सुरक्षित-अनुकूल वातावरण मिल रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक गिधवा में 100 एकड़ और परसदा में 125 एकड़ में जलाशय फैला हुआ है। पक्षी जलाशयों में है तो उन्हें करीब से दिखाने के लिए 8 डोंगी (छोटी नाव) बनवाई जा रही हैं।
ये प्रजातियां पहुंची
क्रो फाउंडेशन बस्तर के सदस्य एवं पक्षी विशेषज्ञ रवि नायडू ने बताया कि यहां पर वॉटर बॉडी में गैडवाल, नॉर्थन पिनटेल, रेड क्रस्टेड पोचार्ड कॉमन पोचार्ड, मार्श, सेंड पाइपर, कॉमन सेंड पाइपर, कॉमन ग्रीन शेंक, कॉमन रेड शेंक हजारों की तादाद में हैं।
इसलिए आते हैं पक्षी
पक्षी विशेषज्ञ नाडयू और अविनाश मोर्या के मुताबिक साइबेरिया, मंगोलिया में ठंड अधिक पड़ती है। ये भोजन-पानी और खुद को सुरक्षित रखने के लिए ईस्ट एशिया आस्ट्रेलियन फ्लाई वे से होते हुए पहुंचते हैं। करीब 5 से 7 हजार किमी की लंबी यात्रा के बाद।
पूरा इंतजाम गांव वाले कर रहे, हाउस स्टे होगा
यहां पहले दिन टूरिस्ट को साइड विजिट करवाया जाएगा। दूसरे दिन पिनटेल मैराथन, फोटोग्राफी प्रतियोगिता जैसे इवेंट्स होंगे। यहां पूरा बंदोबस्त स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीणों के घरों में टूरिस्ट रूकेंगे।
डीएफओ धम्मशील का है कांसेप्ट
15 दिन पहले दुर्ग डीएफओ का पद संभालने वाले धम्मशील गणवीर ने 'पत्रिका' को बताया कि 2-3 साल तक बारिश न होने की वजह से पक्षी नहीं आ रहे थे, मगर पिछले साल अच्छी बारिश से जलाशय भरे और बड़ी संख्या में पक्षी हैं। मैंने इसे लेकर उच्च अधिकारियों से चर्चा की। उन्हें यह कांसेप्ट पसंद आया। महज 5-7 दिन में हमने पक्षी महोत्सव की घोषणा की, तैयारी शुरू की।
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