ये प्रजातियां पहुंची
क्रो फाउंडेशन बस्तर के सदस्य एवं पक्षी विशेषज्ञ रवि नायडू ने बताया कि यहां पर वॉटर बॉडी में गैडवाल, नॉर्थन पिनटेल, रेड क्रस्टेड पोचार्ड कॉमन पोचार्ड, मार्श, सेंड पाइपर, कॉमन सेंड पाइपर, कॉमन ग्रीन शेंक, कॉमन रेड शेंक हजारों की तादाद में हैं।
इसलिए आते हैं पक्षी
पक्षी विशेषज्ञ नाडयू और अविनाश मोर्या के मुताबिक साइबेरिया, मंगोलिया में ठंड अधिक पड़ती है। ये भोजन-पानी और खुद को सुरक्षित रखने के लिए ईस्ट एशिया आस्ट्रेलियन फ्लाई वे से होते हुए पहुंचते हैं। करीब 5 से 7 हजार किमी की लंबी यात्रा के बाद।पूरा इंतजाम गांव वाले कर रहे, हाउस स्टे होगा
यहां पहले दिन टूरिस्ट को साइड विजिट करवाया जाएगा। दूसरे दिन पिनटेल मैराथन, फोटोग्राफी प्रतियोगिता जैसे इवेंट्स होंगे। यहां पूरा बंदोबस्त स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीणों के घरों में टूरिस्ट रूकेंगे।
डीएफओ धम्मशील का है कांसेप्ट
15 दिन पहले दुर्ग डीएफओ का पद संभालने वाले धम्मशील गणवीर ने ‘पत्रिका’ को बताया कि 2-3 साल तक बारिश न होने की वजह से पक्षी नहीं आ रहे थे, मगर पिछले साल अच्छी बारिश से जलाशय भरे और बड़ी संख्या में पक्षी हैं। मैंने इसे लेकर उच्च अधिकारियों से चर्चा की। उन्हें यह कांसेप्ट पसंद आया। महज 5-7 दिन में हमने पक्षी महोत्सव की घोषणा की, तैयारी शुरू की।