नगदी है तो इलाज कराओ, वर्ना लौट जाओ
रायपुरPublished: Oct 19, 2018 07:26:47 pm
आयुष्मान से मरीज परेशान
नगदी है तो इलाज कराओ, वर्ना लौट जाओ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना ‘आयुष्मानÓ का छत्तीसगढ़ में दम घुट रहा है। निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का उपचार नहीं हो रहा है। स्मार्टकार्ड होने के बावजूद मरीज परेशान हैं। निजी अस्पतालों में प्रबंधकों द्वारा साफ-साफ कह दिया जा रहा है कि ‘नगदी है तो इलाज कराओ, वर्ना लौट जाओ। आयुष्मान से इलाज अभी संभव नहीं है।Ó इस बाबत स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि कुछेक अस्पतालों को छोड़कर बाकी जगहों पर आयुष्मान से मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, जशपुर, कोरिया, अंबिकापुर, सरगुजा सहित प्रदेश के ज्यादातर जिलों में मरीजों को आयुष्मान का लाभ नहीं मिल रहा है। कहीं सर्वर की समस्या बताकर चिकित्सक हाथ खड़े कर रहे हैं तो कहीं तरह-तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं। वहीं आइएमए का कहना है कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के पैकेज रेट से आयुष्मान भारत योजना की दरें 40 फीसदी से भी कम है। आइएमए ने पहले के २५ करोड़ रुपए बकाया भुगतान करने की भी मांग रखी है, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
नागरिकों का कहना है कि सरकार ने आयुष्मान योजना आनन-फानन में लागू तो कर दी, लेकिन स्मार्टकार्ड से लिंक अप कराने का कार्य पूरा नहीं किया, जिसके कारण आज मरीजों व उनके परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। गरीब मरीज स्मार्टकार्ड लेकर कभी डॉक्टर तो कभी महकमे के अफसरों को दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन हर जगह से नकारात्मक जवाब ही मिल रहा है। वर्तमान में विधानसभा चुनाव के चलते सत्ता से जुड़े नेता भी झूठे आश्वासनों का पुलिंदा थमाने से बाज नहीं आ रहे हैं। चुनाव बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा, कहकर मरीजों व उनके परिजनों को चलता कर दे रहे हैं। परिजन जैसे-तैसे धन का जुगाड़ कर मरीजों को अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, लेकिन ऐसा कब तक चलेगा। सवाल है कि क्या प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों को इस विकट समस्या की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए? क्या मरीजों को उनके भाग्य पर आंसू बहाने के लिए छोड़ देना चाहिए? बहरहाल, प्रशासन को जब तक आयुष्मान लागू करने में दिक्कत है तब तक स्मार्टकार्ड से ही इलाज की सुविधा मुहैया कराने का आदेश जारी करना चाहिए।