रायपुर

मरीजों से खिलवाड़

आयुष दवाओं पर न तो निर्माता का नाम है, न ही लेबल पर कंपनी का नाम

रायपुरOct 31, 2018 / 06:40 pm

Gulal Verma

मरीजों से खिलवाड़

प्रदेश के सरकारी आयुष अस्पतालों में ऐसी आयुष दवाओं की आपूर्ति की जा रही है, जिन पर न तो निर्माता का नाम है, न ही लेबल पर अन्य आवश्यक जानकारियां। मरीजों की सेहत के प्रति इससे बड़ा खिलवाड़ और क्या होगा। हैरत की बात यह है कि स्टिकर लगाकर ये दवाइयां मरीजों को बेधड़क थमाई जा रही हैं। न कोई इनको रोकने वाला है और न ही टोकने वाला। हद तो यह है कि नेशनल आयुष मिशन के तहत आपूर्ति की जाने वाली करोड़ों की ये दवाएं तमाम जिम्मेदारों और जांचकर्ताओं के बावजूद आयुष अस्पतालों तक पहुंच रही हैं। फिर ये दवाएं इन अस्पतालों के जरिए मरीजों को दी जा रही हैं। जब पूरा सिस्टम ही अनदेखी या मिलीभगत का चश्मा लगाए हुए हो तो आखिर मरीज कहां जाए? जबकि नियमानुसार केंद्र-राज्य सरकार के उपक्रम के तहत दवाओं की खरीद होनी चाहिए। निविदा शर्तों के अनुसार पैकिंग में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 के नियम का अनुपालना अतिआवश्यक है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सरकारी कम्पनियां किसी ठेकेदार या व्यक्ति को अधिकृत कर उसे आपूर्ति का अधिकार दे रही हैं। फिर अनदेखी और मिलीभगत के खेल के चलते ठेकेदार अन्य एजेंसी या छोटे निर्माता से दवा खरीदता है और बिल मूल निर्माता सरकारी कम्पनी का लगा देता है। यहां तक कि अलग-अलग निर्माताओं से खरीदने के कारण मरीजों को एक ही दवा विभिन्न आकार-प्रकार में मिल रही हैं। मरीज के साथ यह जानलेवा खिलवाड़ नहीं तो क्या है कि इलाज के नाम पर उसे ‘अंधीÓ दवा दी जा रही है?
इन दवाओं की गुणवत्ता की जांच आखिर किस स्तर पर की गई। इनके इस्तेमाल से किसी मरीज की जान पर बन आए तो जिम्मेदार कौन होगा? ऐसी दवा, जिसके बारे में मरीजों को यह तक पता नहीं चल पाता कि वह बनी कहां है और किस रोग के लिए कितनी उपयोगी है। जांच और निगरानी का लम्बा-चौड़ा सरकारी तन्त्र मौजूद होने के बावजूद लगातार यह खेल बेधड़क चल रहा है ? क्या महज जेबें भरने के लालच में मरीजों की जान जोखिम में धकेली जा रही है? सरकार को चाहिए कि वह आपूर्तिकर्ता सरकारी कम्पनी की पूरी जांच करे। मरीजों के साथ खिलवाड़ करने वाले एक-एक जिम्मेदार की जवाबदेही तय हो, उन्हें सबक सिखाया जाए।
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