बता दें कि ये पिन पहले 4 अंकों का नहीं था बल्कि ये पिन 6 अंकों का रखा था, लेकिन जब इसे इस्तेमाल में लाया गया तो ये नोटिस किया गया कि आमतौर पर लोग 4 अंकों का पिन ही याद रख पा रहे हैं। हालांकि, जब एटीएम पिन 6 अकों का था तब लोगों को पिन याद रखने में असहजता हो रही थी और वे एटीएम का कम उपयोग कर रहे थे। जिसके बाद फिर एटीएम के पिन को 4 अंकों का कर दिया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, 6 अंकों वाला पिन 4 अंकों के पिन से ज्यादा सुरक्षित है। चार अंकों वाले पिन 0000 से 9999 के बीच रखे जाते हैं। जबकि, इससे अलग-अलग 10000 पिन नंबर रखे जाते हैं, जिनमें से 20 फीसदी पिन हैक हो जाते हैं। कई देशों में आज भी 6 अंकों के एटीएम पिन का इस्तेमाल किया जाता है।
पिन की वजह से ही सुरक्षित होते हैं आपके पैसे
ATM से पैसे निकालने की यह प्रक्रिया काफी आसान है. कोई भी किसी भी बैंक के एटीएम से पैसे निकाल सकता है. इसकी सुरक्षा के लिए एक पिन होता है. पिन ही वह एकमात्र सुरक्षा का टूल है जो आपके पैसों को सिक्योर करता है. आमतौर पर यह पिन यह पिन 4 अंकों का होता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि यह पिन सिर्फ 4 अंकों का ही क्यों होता है.
6 अंकों का पिन ज्यादा सुरक्षित
हालांकि इस प्रयोग के बाद ATM के पिन को 4 अंकों का कर दिया गया. लेकिन फिर भी सच ये है कि 4 अंकों के एटीएम पिन के मुकाबले 6 अंकों का पिन ज्यादा सुरक्षित है. गौर करने वाली बात है कि 4 अंकों के पिन 0000 से 9999 के बीच होते हैं.
ATM से जुड़ी खास बातें
उल्लेखनीय है कि इस मशीन की खोज एक स्कॉटिश वैज्ञानिक ने की थी, जिनका नाम जॉन एड्रियन शेफर्ड बैरन (John Shepherd-Barron) था. यहां रोचक बात ये है कि इस स्कॉटिश वैज्ञानिक शेफर्ड बैरन का जन्म भारत में ही शिलॉन्ग शहर में हुआ था. उन्होंने ही साल 1969 में ATM मशीन बनाई थी.