झारखंड चुनाव से जुड़े हैं तार छत्तीसगढ़ में हाई प्रोफाइल आईटी रेड के !
48 घंटे से जारी रायपुर, भिलाई और बिलासपुर में आयकर छापे

रायपुर . छत्तीसगढ के हाईप्रोफाइल आयकर छापे को झारखंड मे भाजपा की करारी हार से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार को शक है कि झारखंड चुनाव मे कांग्रेस पार्टी ने वित्तीय संसाधन छत्तीसगढ़ से इक_ा किए थे। सीबीडीटी में इसकी शिकायत भी हुई है। आयकर विभाग के छत्तीसगढ़ मे पदस्थ एक अधिकारी मानते हैं कि यह पूरा मसला पॉलिटिकल फंडिंग से जुड़ा हुआ है, जिनके बारे मे भी यह शक रहा कि वो सत्ताधारी पार्टी के मददगार हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
राज्य सरकार की ब्यूरोक्रेसी की रंजिशों पर भी शक
चर्चा है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबन्धित निर्णयों से खार खाये नौकरशाहों ने आयकर विभाग मे पूर्व मे शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। नाम न छापे की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, इस समूची कार्रवाई की जानकारी कुछ अधिकारियों को पहले से लग चुकी थी। छापे की जद में आए अधिकारियों की परिसंपत्तियों की जानकारी भी स्थानीय लोगों ने ही आयकर अधिकारियों को दी थी। दबे छिपे शब्दों मे अब उन अधिकारियों का नाम भी लिया जा रहा है जिनके इशारे पर छापेमारी हुई।
दबाव के लिए कॉर्पोरेट ने डलवाए
राज्य मे डाले गए छापे के पीछे सियासी हलको में देश के एक बड़े उद्योग समूह का नाम भी लिया जा रहा है। जिसकी लौह अयस्क की खदानों का आपरेशन नई सरकार मे संभव नहीं हो पाया था। गौरतलब है कि उक्त उद्योगपति के राज्य मे कई कोल ब्लाक भी हैं। कहा जा रहा है कि इस छापे से जुड़े एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी को कुछ दिन पहले इसी उद्योग समूह से जुड़ी एक कार में देखा गया था।
ये कहता है कानून
ताला तोड़कर ले सकते है तलाशी
आयकर विभाग ताला तोड़कर भी तलाशी ले सकता है। इससे पहले संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर उपस्थिति होने का एक मौका दिया जाता है। जानबूझकर नहीं आने पर स्थानीय जिला कलेक्टर को जानकारी देकर ताला तोड़ सकते है। कलेक्टर द्वारा नियुक्त दो राजपत्रित अधिकारियों के सामने तलाशी ली जा सकती है। इस दौरान वीडियोग्राफी भी अनिवार्य है। बरामद सामान को जब्त करने से पहले पंचनामा करना पड़ेगा।
योगेन्द्र ताम्रकार. वरिष्ठ अधिवक्ता
दस्तावेज और साक्ष्यों के आधार पर तैयार होती है रिपोर्ट
आयकर विभाग द्वारा तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों और साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट तैयार होती है। संबंधित पक्ष से पूछताछ कर बयान लिया जाता है। उसके द्वारा अपने समर्थन में पेश किए गए दस्तावेजों का परीक्षण किया जाता है। इसके आधार पर आयकर विभाग टैक्स का निर्धारण करता है। असंतुष्ट व्यक्ति आयकर विभाग की अपील शाखा में अपना मामला पेश कर सकता है। संबंधित पक्ष को अगर यह लगता है कि उसके साथ न्याय नहीं हुआ तो उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय भी जा सकता है।
बी सुब्रमणियम, अध्यक्ष आयकर बार सलाहकार एसोसिएशन
संबंधित पक्ष को रिटर्न जमा करने का मिलता है मौका
छापेमारी के बाद संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर रिटर्न जमा करने का मौका दिया जाता है। विभाग जमा टैक्स की राशि और संबंधित द्वारा दी गई जानकारी की जांच करता है। करारोपण अधिकारी द्वारा टैक्स का निर्धारण किया जाता है। असंतुष्ट व्यक्ति आयकर आयुक्त और ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। यहां भी अगर उसे लगता है कि उसके पक्ष को सही तरीके से नहीं सुना गया है तो वह उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है।
चेतन तारवानी, पूर्व अध्यक्ष आयकर बार सलाहकार एसोसिएशन
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