राज्य गीत से शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत राज्य गीत अरपा पैरी के धार… से हुई। यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने संगीतमय प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल थे। अध्यक्षता रविवि के कुलपति प्रो. केशरी लाल वर्मा ने की। साथ ही इंडियन केमिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. दुलाल चंद्र मुखर्जी एवं सचिव प्रो. चित्तरंजन सिन्हा विशेष रूप में उपस्थित थे। पहले दिन फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, अमरीकी साइंटिस्ट प्रो. डेनियल थैलहम और जापान की चीबू युनिवर्सिटी के प्रो. किमिटाका कावामुरा का लेक्चर हुआ। इसमें एमपी, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार समेत कई राज्यों के रसायन शास्त्री भाग ले रहे हैं।किसी भी फील्ड में शिखर तक पहुंचने के लिए नया सोचो, नया करो
1981 में थ्योरीटिकल केमेस्ट्री में शांति स्वरूप भटनागर अवॉर्ड से नवाजे जा चुके डॉ बीएम देब को यहां लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से नवाजा गया। पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि केमेस्ट्री में एमएससी करने के बाद तक मैं तय नहीं कर पाया था कि मुझे करना क्या है। हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी से मैथमेटिक्स करते वक्त मुझे अपना लक्ष्य नजर आया। बिना मैथ्स के केमेस्ट्री किसी काम की नहीं। ये बात उन दिनों हमारे देश के लिए बिल्कुल नई थी। इसे सहज और सरल बनाते हुए मैंने इसी दिशा में शिक्षा देनी शुरू की। पढ़ाने के साथ मेरा रिसर्च जारी है। आज 77 की उम्र में भी मैं आठ से 10 घंटे रिसर्च के लिए देता हूं। उन्होंने बताया, मैंने अपने 56 वर्ष के कॅरियर में महज ढाई महीने अब्रॉड में सेवाएं दी। मुझे गर्व है कि अपनी सरजमीं में रहते हुए रिसर्च का मौका मिला। वे अभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) कोलकाता में प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा कि आप किसी भी फील्ड में रहें हमेशा नया सोचें और नया करें। तभी कामयाब रहेंगे और शिखर तक पहुंचेंगे।संसाधनों की कमी के बावजूद बेहतर कर रहे इंडियन
जापान की चुबू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर किमिटाका कावामुरा ने क्लामेट चेंज पर अपनी स्पीच दी। वे तीन दशकों से ड्राई एसिड पर रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने रेन एसिड के बारे में बताया कि इसके कारण फसलों, स्मारकों और लोगों को स्किन की प्रॉब्लम होती हैं। टू व्हीलर से निकलने वाला नाइट्रोजन डाईऑक्साइड और चिमनियों से निकलने वाला सल्फर के आक्साइड रेन एसिड के लिए जिम्मेदार है। कावामुरा के अंडर में कई भारतीयों ने पीएचडी की है। उन्होंने बातचीत में कहा कि कम संसाधन होने के बावजूद भारत के लोग रिसर्च के क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं। ये वाकई कमाल की बात है।सोच की कोई सीमा नहीं होती
यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा डिपार्टमेंट ऑफ केमेस्ट्री के प्रो. डेनियल आर. थैलहम ने कहा कि जर्नली स्टूडेंट को फंडामेंटल केमेस्ट्री में या तो फोटो केमेस्ट्री के बारे में पढ़ाया जाता है या फिर मैग्नेटिज्म पर। कुछ ऐसे कंपाउंड हैं जिसमें दोनों प्रॉपर्टी कॉम्बिनेशन में मिलती है। लाइट एब्जॉब्शन और मैग्नेटिक दोनों को कंबाइन कर इस केमेस्ट्री को एड्रेस करना होता है। यह काफी कॉम्पलेक्स चीज है जिसके बारे में लोगों को नॉलेज नहीं है। बातचीत के दौरान प्रो डेनियल ने कहा कि सोच की कोई सीमा नहीं होती। इसका दायरा जितना बड़ा होगा आप जीवन में उतनी ज्यादा तरक्की करेंगे। हार्डवर्क और डेडिकेशन के अलावा किसी भी सब्जेक्ट का बेहतर नॉलेज आपको एक्सपर्ट बनाता है।