अब तक कुल 1,70,130 लोग कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 72,191 मरीजों ने होम आइसोलेशन का विकल्प चुना और वे स्वस्थ हुए। अभी प्रदेश में 25 हजार एक्टिव हैं, जिनमें से 13 प्रतिशत मरीज अस्पतालों में हैं। कोविड केयर सेंटर में 27-30 प्रतिशत के करीब, जबकि 55-60 प्रतिशत मरीज अभी भी होम आइसोलेशन में हैं। आंकड़ों से स्पष्ट है कि कुल स्वस्थ हुए मरीजों में 50.4 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में रहते हुए कोरोना पर विजय हुए। अब अस्पतालों से ठीक मरीजों का प्रतिशत 49.6 रह गया है, जो दिन व दिन घटता ही जाएगा। मगर, कोरोना के विरुद्ध भले ही आधी लड़ाई जीत ली हो, मगर आधी लड़ाई में कोरोना का पलटवार भी हो सकता है। क्योंकि ऐसी आशंका व्यक्त की गई है कोरोना का दूसरा पीक आएगा। इसलिए सतर्क रहें।
होम आइसोलेशन से ये मिली सीख ट्रीटमेंट मैनेजमेंट- कोरोना संक्रमित मरीज घरों में अपना और अपनों का इलाज करते हुए मेडिकल उपकरणों से परिचित हुए। जैसे- पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, वैपोराइजर, वीपी डिवाइज, ऑक्सीजन सिलेंडर के प्रेशर मैनेजमेंट और दवाओं के डोज से।
ट्रीटमेंट ऑन काल- लॉकडाउन और आज भी डॉक्टर फोन पर मरीजों को एडवाइज दे रहे हैं। वीडियो कॉल, वॉट्सऐप कॉलिंग और अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए डॉक्टर ने मरीजों बिना छुए इलाज दिया। मरीज स्वस्थ हुए।
ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल- मरीजों ने जाना की ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल कितना अहम होता है। स्थिति यह हुई की घर में अगर कोई संक्रमित हुआ तो अन्य सदस्यों ने पहले से प्रिवेंटिव दवाएं लेनी शुरू कर दीं। लोग ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक डॉ. सुभाष पांडेय ने बताया कि होम आइसोलेशन का विकल्प मौजूद है, मगर विभाग की अपील है कि वे ही मरीज इसके लिए आवेदन करें, जो खुद को मानकों और नियमों के तहत खरा पाते हैं। लापरवाही कतई न करें।