अस्पताल में डॉ. हर्षित ने ही सबसे ज्यादा 182 सर्जरी की है। सर्जरी करने वाले 4 डॉक्टरों में से सिर्फ एक पर कार्रवाई करने पत्र लिखे जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग पर प्रश्न उठने लगे हैं। 9 मार्च 2019 को शुरू हुए होपवेल अस्पताल प्रबंधन ने 5 माह में ही कई मरीजों के पीठ में दर्द नहींं होने के बावजूद बाहर से डॉक्टर को बुलाकर स्पाइनल सर्जरी करवा डाली तथा आयुष्मान योजना से पैसे लेने के लिए कर दिया।
2 करोड़ रुपए से ज्यादा का क्लेम
अफसरों ने पाया कि जिनकों पीठ में दर्द नहीं था या जिन्हें स्पाइन में कोई समस्या नहीं थी उनका भी ऑपरेशन कर दिया गया है। मामला सामने आने के बाद ही अस्पताल में किसी मरीज का इलाज नहीं किया जा रहा है। होपवेल के एक कर्मचारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि अस्पताल का राजधानी के तीन-चार डायग्नोस्टिक सेंटर से अनुबंध था।
यदि कोई मरीज आता था तो उसकी उन्हीं जगहों पर एमआरआई कराकर स्पाइन सर्जन को रिपोर्ट दिखाई जाती थी। स्पाइन सर्जन के कहने पर एमआरआई रिपोर्ट के दूसरे दिन ही ऑपरेशन कर दिया जाता था। एक कर्मचारी ने बताया कि होटल में रूकने व खाने की व्यवस्था का झांसा देकर गांव-गांव से कर्मचारी मरीज लेकर आते थे।
चार महीने का नहीं किया भुगतान
होपवेल प्रबंधन ने 4 महीने से कर्मचारियों व अन्य डॉक्टरों को वेतन भुगतान नहीं किया है। कर्मचारी वेतन की आस में प्रतिदिन हास्पिटल का चक्कर लगा रहे हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि 70 से ज्यादा डॉक्टर व कर्मचारी काम कर थे। सभी कर्मचारियों का प्रतिमाह करीब 7 लाख रुपए का बिल बनता था। सितंबर महीने से वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। उसने बताया कि प्रबंधन से मांग करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है कि अगले माह मिल जाएगा।
एमएसबीवाय व आयुष्मान के नोडल अधिकारी डॉ. श्रीकांत राजिमवाले ने कहा, होपवेल अस्पताल को एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया है तथा 35 लाख रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया गया है। डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखा गया है।
रायपुर होपवेल हॉस्टिपल के आरएमओ डॉ. उमेश गुप्ता ने कहा, अस्पताल प्रबंधन और एक डॉक्टर को नोटिस मिला है। डायरेक्टर राजेश चंद्रा का कहना है कि वह इस मुद्दे पर किसी से बात नहीं करना चाहते। उन्होंने सिर्फ नो कमेंट्स कहा है।