बुधवार को पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस 2014 बैच 15 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया और गुरुवार दोपहर होते-होते यह संख्या 38 जा पहुंची, जबकि लखीराम अग्रवाल मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे का पत्र डीन को सौंप दिया, जिसमें उन्होंने इस्तीफे की वजह लिखी। स्पष्ट कर दें कि भेल ही जूनियर डॉक्टर यह मान रहे हों कि इस्तीफे के दबाव में उनकी जीत हुई, मगर ऐसा नहीं है। रायपुर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसरों का मानना है कि इस्तीफा वैध ही नहीं था। उधर, जैसे ही डॉक्टरों के इस्तीफे की बात संचालक तक पहुंची उन्होंने दोनों कॉलेजों के डीन से फोन पर बात कर निर्देशित किया कि वे इन डॉक्टरों को वेतन का भुगतान करें, किस मद से करें यह भी सुझाया गया है। अब इन्हें बीते दो माह का वेतन मिलेगा और नई पदस्थापना में संविदा आधारित वेतन मिलेगा।इस्तीफे की ये तीन वजहें
पहला- पढ़ाई पूरी करने के बाद राज्य कोटे के डॉक्टरों को 2 साल की शासकीय सेवा अनिवार्य है। इसके लिए छात्रों द्वारा बांड भरा जाता है। इन्हें संचालक स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा पोस्टिंग दी जाती है। मगर, अभी तक जॉइनिंग नहीं दी गई। जेआर बनाकर काम लिया जा रहा है। – मांग पूरी।
दूसरा- बांड के नियम के आधार पर पोस्टिंग नहीं, और जेआर बना दिया गया। मगर, दो महीने हो गए इन्हें निर्धारित वेतन का भुगतान नहीं हुआ। – वेतन मिलेगा। शासकीय कॉलेज, दूरस्त अंचल और अतिदूरस्त अंचल में पदस्थापना के आधार पर वेतन।
तीसरा- इनकी शिकायत है कि कोविड१९ हॉस्पिटल में सीनियर्स की ड्यूटी लगानी चाहिए, जूनियर्स की नहीं। – इस मांग को खारिज कर दिया गया। डॉक्टर मेरे पास आए थे। मैंने उन्हें बताया था कि वेतन जारी होगा भले ही थोड़ा वक्त लगे। आप इस पेशे में क्यों आए हो? आज जब मुसीबत के दौर में आपकी जरूरत है तो आप भाग रहे हो।
डॉ. एसएल आदिले, संचालक, चिकित्सा शिक्षा
डॉ. एसएल आदिले, संचालक, चिकित्सा शिक्षा