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स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे

locationरायपुरPublished: Aug 30, 2018 07:06:25 pm

Submitted by:

Gulal Verma

ऑक्सीजन नहीं मिलने से मासूम की मौत

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स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे

बीमार स्वास्थ्य सुविधाओं की दो चौंकाने वाली खबरें छत्तीसगढ़ के उस जिले बीजापुर से आई है, जहां से चार माह पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी। बीजापुर की ५ साल की मासूम बुलबुल कुडियम की मौत एंबुलेंस के सिलेंडर का आक्सीजन खत्म हो जाने से हो गई। वहीं, उपचार के दौरान हुई मौत के बाद रचना मरकाम के शव को एंबुलेंस के अभाव में परिजन को उल्टी चारपाई पर रखकर कंधों पर ले जाना पड़ा। ये दोनों ही दिल दहला देने वाली खबरें जनजातीय बहुल बस्तर की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत बयां करने को काफी हंै। चिंता की बात है कि प्रदेश के अस्पतालों में मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए। जबकि देश में एक अनुमान के मुताबिक दो हजार लोगों पर एक चिकित्सक है। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तीन हजार करोड़ रुपए का बजट है। फिर भी २२ फीसदी चिकित्सकों की कमी है। बीते एक दशक में करीब दो हजार डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़ चुके हैं। बस्तर में ५५ प्रतिशत तक डॉक्टरों की कमी है। संभाग में १९ विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, जबकि इनके २४४ पद रिक्त हैं। वहीें ३१० की एवज में महज १३५ डॉक्टर यहां पदस्थ हैं। १२०० प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से आधे भवनविहीन हैं। बस्तर के किसी भी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं हैं। अलबत्ता कुछ जगहों पर दंत चिकित्सक जरूर तैनात हैं। इन स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों का तबादला तो किया गया पर वहां जाने को कोई तैयार ही नहीं हुआ। इंद्रावती नदी के पार के दर्जनों गांवों में स्वास्थ्य सुविधा का नामोनिशान तक नहीं है। बस्तर के दूरदराज के इलाकों का एक बड़ा तबका आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम है। लिहाजा, यहां हर साल औसतन चार हजार मरीजों की मौत होती है।
देश में नए एम्स खोले जा रहे हैं, मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जा रही हंै, पर स्वास्थ्य सेवाओं में पिछड़े इलाके और गरीबों के प्रति संवेदनशीलता देखने को नहीं मिल रही है। स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में विषमता का मुद्दा काफी गंभीर है। शहरों के मु़काबले ग्रामीण क्षेत्रों के हालात ज्यादा बदतर हैं। इसके साथ ही बड़े निजी अस्पतालों के मुकाबले सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का घनघोर अभाव है। बड़े शहरों में स्वास्थ्य सुविधाएं संतोषजनक हैं, लेकिन चिंताजनक पहलू यह है कि इस तक केवल संपन्न तबके की ही पहुंच है।
किसी भी देश की तरक्की तभी संभव है, जब उसकी जनता सेहतमंद हो। लिहाजा, इस दिशा में ग्रामीण इलाकों में संवेदनशीलता की जरूरत है, क्योंकि आधी से अधिक आबादी वहीं बसती है।

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