लॉकडाउन के दौरान जहां डिमांड 60 से 80 फ़ीसदी तक घट चुकी थी। वहीं वर्तमान समय में डिमांड पटरी पर लौट रही है। कई सेक्टरों में डिमांड 80 से लेकर 90 तक पहुंच चुकी है। बारिश की वजह से आयात- निर्यात का अगर इस साल भी है। वहीं तीसरी वजह डीजल की कीमतें बताई जा रही है। लेकिन, इसका असर प्रति किलो सिर्फ दो से तीन रुपए ही आंका जा रहा है।
थोक कारोबारियों का कहना है कि होटल, रेस्टोरेंट के खुलने के साथ ही अब अनलॉक में ज्यादातर लोग काम कर लौट रहे हैं। डीजल की कीमतों का असर बाजार में उतना ज्यादा नहीं है। जितना कि प्रचारित किया जा रहा है। दरअसल, मालभाड़े में 5 से 10 हजार की की महंगाई का असर एक ट्रक माल मंगाने पर आ रही है। 15 से 16 टन की गाड़ियों में 15 से 16 हजार किलो में प्रति किलो महंगाई 1. 5 रुपए की आ रही है। चिल्हर तक आते इन सामानों में दो से तीन रुपए की महंगाई आ चुकी है।