scriptअमित शाह की आदिवासी जोड़ो नीति के पहली कड़ी बने कांग्रेस विधायक रामदयाल उइके, जानिए कैसे | How Congress MLA defected to BJP under Amit Shah's Link Tribal policy | Patrika News

अमित शाह की आदिवासी जोड़ो नीति के पहली कड़ी बने कांग्रेस विधायक रामदयाल उइके, जानिए कैसे

locationरायपुरPublished: Oct 13, 2018 09:32:07 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही आदिवासियों के वोट बैंक को साधने की कोशिशें तेज हो गई हैं।

Amit shah in CG

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रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही आदिवासियों के वोट बैंक को साधने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसका कारण साफ है कि छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से 10 अनुसूचित जाति व 29 अनुसूचित जनजाति के आरक्षित हैं। वहीं छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी प्रदेश के आदिवासी वोटरों को तरजीह देते हुए आदिवासी जोड़ो नीति के फार्मूले पर काम कर रहे हैं।
आदिवासी जोड़ो नीति के फार्मूले पर काम कर रहे शाह ने उस वक्त बड़ी सफलता हासिल की जब विधायक रामदयाल उइके ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल कर हो गए। 18 साल बाद एक बार फिर रामदयाल उइके की घर वापसी को पार्टी एक बड़ी जीत के तौर पर देख रही है।
वहीं जानकार प्रदेश के आदिवासियों के बीच अपनी पहचान बना चुके रामदयाल उइके के भाजपा में शामिल से कांग्रेस के लिए इसे एक नुकसान के तौर पर देख रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस उइके को इस विधानसभा चुनाव में एक बड़ा आदिवासी चेहरे के रूप में प्रोजक्ट कर रही थी लेकिन उइके के इस कदम से कांग्रेस को आदिवासी वोटों के मामले में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
रामदयाल उइके छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की पाली-तानाखार विधानसभा सीट से विधायक हैं। उइके ने पिछले तीन बार से इस सीट पर जीत दर्ज की। इस सीट को कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है। सत्ता में पिछले 15 वर्षों से बने रहने के बाद भी भाजपा इस सीट पर कब्जा करने में असफल रही है।
छत्तीसगढ़ में 2013 में हुए विधानसभा चुनावों के आकड़ों पर गौर करें तो आदिवासी वोटरों ने भारतीय जनता पार्टी को सिरे से नकार दिया था। सरगुजा और बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य संभागों की 26 में से बीजेपी ने सिफ 11 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार बीजेपी आदिवासी सीटों को जीतने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती।
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