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ट्रेन में वेटिंग टिकट पर सफर करने वाले यात्रियों को मिल सकती है बड़ी राहत, इस तकनीक के कारण मिलेगी सुविधा

locationरायपुरPublished: Dec 13, 2019 09:30:17 pm

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CG Desk

* 35 ट्रेनों में एचओजी तकनीक के बावजूद नहीं बढ़े कोच* इन ट्रेनों से पॉवरकार बोगी हटाने पर 400 सीटों का हो सकता था इजाफा

ट्रैन

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रायपुर. एलएचबी कोच की ट्रेनों से पॉवरकार निकाल कर उसकी जगह यात्री बोगी लगाने का काम अभी रेलवे शुरू नहीं कर पाया है। केवल हेड ऑफ जनरेशन सिस्टम (एचओजी) करने में ही जोर लगाया जा रहा है। इस वजह ट्रेनों की एसी से लेकर पंखे चलाने तक ही यह सिस्टम सिमट कर रह गया है। बोगियां नहीं लगने से यात्रियों को कन्फर्म बर्थ की सुविधा नहीं मिल पाई है। जबकि रेलवे प्रशासन का यह तर्क था कि हेड ऑफ जनरेटर सिस्टम होने के साथ ही रायपुर डिवीजन की अधिकांश गाडिय़ों में 72-72 सीटों का इजाफा होगा। इससे वेटिंग टिकट पर सफर करने वाले यात्रियों को बड़ी राहत मिलने लगेगी।
ये ट्रेनें चलाई जा रही आधुनिक तकनीक से
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के रायपुर रेल मंडल के दुर्ग स्टेशन से चलने वाली एलएचबी कोच वाली ट्रेनों में हेड ऑन जनरेशन सिस्टम (एचओजी) प्रणाली शुरू करने का दावा रेल अफसरों ने किया। इनमें छतीसगढ़ संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, दुर्ग-निज़ामुद्दीन हमसफऱ एक्स्प्रेस, दुर्ग-जम्मूतवी एक्सप्रेस और दुर्ग-फिरोजपुर अंत्योदय एक्सप्रेस शामिल है।
ट्रैन में वेटिंग टिकट पर सफर करने वाले यात्रियों को मिल सकती है बड़ी राहत, इस तकनीक के कारण मिलेगी सुविधा
यह है एचओजी तकनीक
जिन ट्रेनों में एसी डिब्बे होते हैं, उनमें इंजन में बिजली की आपूर्ति ओवर हेड वायर से होती है। इसके अलावा हर डिब्बे की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए ट्रेन में आगे और पीछे की ओर एक जनरेट कार लगाई जाती है। इसमें बड़ा सा जनरेटर होता है जो डीजल से चलता है। रेलवे की हेड ऑन जनरेशन तकनीक (एचओजी) के तहत ट्रेन के सभी डिब्बों को बिजली ओवरहेड वायर से मिलती है, वहीं इन जनरेटरों की जगह यात्री डिब्बे लगाए जा सकते हैं, जिससे अधिक संख्या में यात्रियों को कन्फर्म सीट मिल सकती है।
एचओजी तकनीक से फायदे
– रेलवे को हर साल 4.5 करोड़ रुपए की बचत डीजल से होगी।
– वायु प्रदूषण से बड़ी राहत।
– डीजल जनरेटर निकल जाने से काफी हद तक ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण
– यात्री बोगी लगने से अधिक से अधिक कन्फर्म टिकट।
कोच की कमी से जूझ रहा रेलवे
रेलवे नए कोच की कमी से जूझ रहा है। इस वजह से न तो लोकल 8 और 12 कोच की गाडिय़ों में न तो कोच संख्या बढ़ पाई है न ही हेड ऑफ जनरेशन सिस्टम लागू होने के बाद लंबी दूरी की ट्रेनों से पॉवरकार बोगी की जगह यात्री बोगियां लगाई जा रही है। जबकि दो साल पहले रायपुर रेल मंडल ने 200 से अधिक अतिरिक्त कोच का मांग पत्र जोन के माध्यम से रेलवे बोर्ड को भेजा था, वह आज तक नहीं मिल पाया है।
काम प्रक्रिया में
रायपुर रेल मंडल की कई गाडिय़ों को हेड ऑफ जनरेशन किया जा चुका है। उन गाडिय़ों से एक-एक पॉवरकार की जगह यात्री बोगी लगाई जानी है। लेकिन यह काम अभी प्रक्रियाधीन है।
शिव प्रसाद पंवार, सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर, रेलवे
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