उठते सवाल
1. गरियाबंद वन विभाग ने खुद ही खबर जारी किया था कि यह हथिनी धमतरी से मैनपुर होते हुए 15 से 16 अप्रैल को सिकासेर पहुंची थी। क्या एक बीमार हथिनी चिलचिलाती धूप में इतना लंबा सफर तय कर सकती है?
2. वनविभाग ने दो दिनों से एक ही जगह पर बैठी हथिनी के बीमार होने के बारे पता लगाकर इलाज क्यों नहीं किया?
3. यह पहला मौका था जब वन्य प्राणी के पीएम पर भारी पर्दा रखा गया। बाकायदा पॉलीथिन की आड़ में क्रियाकर्म कराया गया। हथिनी को दफन करने तक मीडिया को क्यों रोका गया?
1. गरियाबंद वन विभाग ने खुद ही खबर जारी किया था कि यह हथिनी धमतरी से मैनपुर होते हुए 15 से 16 अप्रैल को सिकासेर पहुंची थी। क्या एक बीमार हथिनी चिलचिलाती धूप में इतना लंबा सफर तय कर सकती है?
2. वनविभाग ने दो दिनों से एक ही जगह पर बैठी हथिनी के बीमार होने के बारे पता लगाकर इलाज क्यों नहीं किया?
3. यह पहला मौका था जब वन्य प्राणी के पीएम पर भारी पर्दा रखा गया। बाकायदा पॉलीथिन की आड़ में क्रियाकर्म कराया गया। हथिनी को दफन करने तक मीडिया को क्यों रोका गया?
जानकारी छुपा रहे
हाथियों की मौत और पोस्टमार्टम की जानकारी को लेकर आरटीआई लगाने वाले प्रीतम सिन्हा (प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ भाजपा) का कहना है कि गरियाबंद वनमंडल क्षेत्र में विगत दो वर्ष के अंदर तीन हाथियों सहित अन्य वन्यप्राणियों की संदिग्ध परिस्थितियों की मौतों पर वन विभाग के आलाधिकारी शासन के दबाव में गुमराहपूर्वक कृत्य कर रहे हैं और जानकारियों को छुपा रहे हैं।
हाथियों की मौत और पोस्टमार्टम की जानकारी को लेकर आरटीआई लगाने वाले प्रीतम सिन्हा (प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ भाजपा) का कहना है कि गरियाबंद वनमंडल क्षेत्र में विगत दो वर्ष के अंदर तीन हाथियों सहित अन्य वन्यप्राणियों की संदिग्ध परिस्थितियों की मौतों पर वन विभाग के आलाधिकारी शासन के दबाव में गुमराहपूर्वक कृत्य कर रहे हैं और जानकारियों को छुपा रहे हैं।