कितनी मात्रा में दी जानी है हाईड्रोक्सी क्लोरोक्विन
डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा ने बताया पहले दिन सुबह-शाम 400-400 एमजी की एक-एक गोली दी जानी है। इसके बाद हफ्ते में 400 एमजी की एक-एक गोली, सात हफ्ते तक दी जानी है। गोली देने का यह प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया है। यह शरीर में कोरोना वायरस के हमले को पूरी तरह से रोकता भी है, नहीं भी। मगर, इतना जरूर है कि इसके प्रभाव से मरीज भले ही पॉजिटिव आ सकता है, मगर वह गंभीर नहीं होता। 3-4 दिन में ही उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है। यह बेहद ही कारगर दवा है। मैं पहले से कहता आ रहा हूं कि फ्रंट लाइव वॉरियर्स को यह दवा खिलाई जानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग बस्तर में जवानों को मलेरिया से रोकथाम के लिए दवा दे ही रहा है।
आम लोगों के लिए प्रिक्रिप्शन जरूरी
करीब दो महीने पहले जैसे ही यह बात सामने आई कि यह कोरोना वायरस की रोकथाम की दवा है, तो भारी मात्रा में इसकी खरीदी शुरू हो गई। स्थिति यह थी कि अधिकारी-मंत्रियों के बंगलों में इसकी सप्लाई हुई। इसकी बेतहाशा बिक्री को देखते हुए तत्काल केंद्र सरकार को इसे अति आवश्यक दवा की सूची में डालना पड़ा व इसकी बिक्री पर रोक लगानी पड़ी। डॉक्टर के प्रिक्रिप्शन (पर्ची) पर ही दवा दी जाना तय किया गया। डॉ. धमेंद्र गहवईं, राज्य सर्विलेंस अधिकारी एवं प्रवक्ता, स्वास्थ्य विभाग ने बताया केंद्र की नई गाइडलाइन के मुताबिक कोरोना ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को हाईड्रोक्सी क्लोरोक्विन गोलियां दी जा सकती है। राज्य के पास पर्याप्त गोलियां उपलब्ध हैं।