राज्य में कई केंद्रों पर पहले से यह गोली दी जा रही है। मगर अब इसे व्यवस्थित रूप से कोरोना ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, क्वारंटाइन सेंटर में पदस्थ स्टाफ यहां तक की मीडियाकर्मियों को भी गोलियां दी जाएंगी। इसे लेकर राज्य कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की ड्रग एडवाइजरी कमेटी ने इसका प्रस्ताव शासन को भेजा है। सूत्र बताते हैं कि केंद्र की मंजूरी तो है ही, जल्द राज्य सरकार हरी झंडी देगी। छत्तीसगढ़ में कई वर्षों से इस दवा का इस्तेमाल मलेरिया की रोकथाम के लिए किया जा रहा है। मलेरिया के मरीजों को यह दवा दी जा रही है।
कोरोना मरीजों इलाज में यह प्रमुख दवा
छत्तीसगढ़ ने हाईड्रोक्सी क्लोरोक्विन दवा का इस्तेमाल कोरोना मरीजों पर करने की अनुमति मांगी थी, जो केंद्र सरकार ने दी। बाद में देश के अन्य राज्यों ने भी इसके उपयोग की बात रखी। आज यह कोरोना मरीजों के उपचार में सबसे अहम दवा है।
कितनी मात्रा में दी जानी है हाईड्रोक्सी क्लोरोक्विन
पहले दिन सुबह-शाम 400-400 एमजी की एक-एक गोली दी जानी है। इसके बाद हफ्ते में 400 एमजी की एक-एक गोली, सात हफ्ते तक दी जानी है। गोली देने का यह प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया है। यह शरीर में कोरोना वायरस के हमले को पूरी तरह से रोकता भी है, नहीं भी। मगर, इतना जरूर है कि इसके प्रभाव से मरीज भले ही पॉजिटिव आ सकता है, मगर वह गंभीर नहीं होता। ३-४ दिन में ही उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है। यह बेहद ही कारगर दवा है। मैं पहले से कहता आ रहा हूं कि फ्रंट लाइव वॉरियर्स को यह दवा खिलाई जानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग बस्तर में जवानों को मलेरिया से रोकथाम के लिए दवा दे ही रहा है।
( जैसा पत्रिका को डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा ने बताया)
आम लोगों के लिए प्रिक्रिप्शन जरूरी
करीब दो महीने पहले जैसे ही यह बात सामने आई कि यह कोरोना वायरस की रोकथाम की दवा है, तो भारी मात्रा में इसकी खरीदी शुरू हो गई। स्थिति यह थी कि अधिकारी-मंत्रियों के बंगलों में इसकी सप्लाई हुई। इसकी बेतहाशा बिक्री को देखते हुए तत्काल केंद्र सरकार को इसे अति आवश्यक दवा की सूची में डालना पड़ा व इसकी बिक्री पर रोक लगानी पड़ी। डॉक्टर के प्रिक्रिप्शन (पर्ची) पर ही दवा दी जाना तय किया गया।
केंद्र की नई गाइडलाइन के मुताबिक कोरोना ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को हाईड्रोक्सी क्लोरोक्विन गोलियां दी जा सकती है। राज्य के पास पर्याप्त गोलियां उपलब्ध हैं।
-डॉ. धमेंद्र गहवईं, राज्य सर्विलेंस अधिकारी एवं प्रवक्ता, स्वास्थ्य विभाग