केस वापस लेने का था दबाव
साथ ही पीडि़ता की मां ने न्यायालय में बयान दर्ज कराया था कि प्रकरण को वापस लेने के लिए उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। आरोपी पारिवारिक सदस्य है और ससुराल वाले प्रकरण को वापस नहीं लेने की वजह से नाराज थे। इस बयान के आधार पर ही न्यायालय ने आरोपी के जमानत आवेदन को निरस्त कर दिया। इसके कुछ दिनों बाद ही पीडि़ता की मां की हत्या हो गई। हत्या पीडि़ता के पिता ने की।
पिता ने रायपुर में की थी मां की हत्या
पीडि़ता ने बताया कि मेरी मां की हत्या मेरे पिता ने रायपुर में की थी। हत्या के मामले में सरस्वती नगर थाने की पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया था। पीडि़ता ने बताया कि इस घटना के बाद वह स्वयं अपने दो भाई-बहन के साथ नाना-नानी के पास रह रही हैं। नाना-नानी भीख मांगकर जीवन-यापन करते हैं। अब न तो वह और न ही उसके भाई-बहन स्कूल जाते हैं। उनके आगे-पीछे कोई नही है।न्यायालय ने इन्हें दी जिम्मेदारी
कलेक्टर : दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग और उसके भाई-बहन को किसी अच्छे निजी स्कूल में दाखिल कराया जाए। साथ ही उसके आवास व भोजन की व्यवस्था नि:शुल्क किया जाए। पीडि़ता व उसके भाई-बहन को हर माह छात्रवृत्ति दी जाए ताकि जीवनयापन में आर्थिक परेशानी न आए।आरोपी के जमानत आवेदन का विरोध करने पर नाबालिग की मां की हत्या हुई है। वह हत्या जैसे गंभीर प्रकरण की प्रत्यक्षदर्शी गवाह है। इसलिए उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन पर है। न्यायाधीश ने आदेश के मुताबिक स्थानीय अधिकारी संबंधित जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक को पत्र के माध्यम से आदेश का पालन कराने सुनिश्चित करेंगे।