विकास शुल्क के रूप में नगर पंचायत क्षेत्रों 5 रुपए प्रतिवर्ग फीट, नगर पालिका और रायपुर नगर निगम को छोड़कर शेष नगर निगम में 10 रुपए प्रतिपर्ग फीट और रायपुर नगर निगम क्षेत्र में 15 रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर से 10 वर्षों तक विकास शुल्क लिया जाएगा। परिपत्र के अनुसार नगरीय क्षेत्रों में प्राधिकृत अधिकारियों की नियुक्ति 7 अक्टूबर तक, झुग्गीवासियों का सर्वेक्षण 30 अक्टूबर तक और पात्र झुग्गीवासियों को स्थायी और अस्थायी पट्टा वितरण 25 नवम्बर तक अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए गए हैं।
विस्तारित योजना के तहत 19 नवम्बर 2018 को शहरी क्षेत्रों में शासकीय नजूल, स्थानीय निकाय, विकास प्राधिकरण की भूमि में निवास वाले आवासहीनों को ऐसी अधिभोग की भूमि के पट्टे की पात्रता होगी, जिनका इस पते का राशन कार्ड बना हुआ हो। राशन कार्ड नहीं होने पर अन्य प्रमाणिक दस्तावेजों के आधार पर सत्यापन के बाद पट्टा प्रदान किया जाएगा।
किस्तों में राशि देने की सुविधा सरकार ने नए पट्टाधिरियों को किस्तों में राशि देने की सुविधा भी प्रदान की है। इसके तहत पात्र हितग्राही चार किस्तों में विकास प्रभार की राशि जमा करवा सकते हैं। पात्र हितग्राही को अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर और जनवरी में विकास प्रभार की राशि जमा करवानी होगी।
अलग-अलग क्षेत्रों के लिए वर्ग फीट तय योजना के तहत सामान्यत: झुुग्गीवासी व्यक्ति को 450 वर्ग फीट की भूमि का पट्टा प्राप्त करने की पात्रता होगी। 450 वर्ग फीट से अधिक भूमि होने की स्थिति में नगर पंचायत क्षेत्रों में 1000 वर्ग फीट, नगर पालिका क्षेत्रों में 800 वर्ग फीट, रायपुर छोड़कर अन्य नगर पालिक निगम क्षेत्रों में 700 वर्ग फीट और रायपुर नगर पालिक निगम क्षेत्र में 600 वर्ग फीट क्षेत्रफल तक पट्टा प्रदान किया जा सकेगा। इस सीमा से अधिक भूमि पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति से उसे रिक्त कराया जाएगा।
इन जगहों पर नहीं मिलेगा पट्टा परिपत्र में कहा गया है कि अगर कोई भूमिहीन नगरीय क्षेत्रों में सड़क, तालाब, नहर तथा सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर काबिज है तब उस भूमि की पट्टे की पात्रता नहीं होगी। ऐसे व्यक्तियों को समिति अन्यत्र व्यवस्थापित करने का निर्णय ले सकेगी।
भू-नियमितिकरण के लिए कलेक्टरों को लिखा पत्र राज्य शासन ने शहरी क्षेत्रों में पट्टाधारी लोगों के पट्टों को भूमि स्वामी अधिकार में बदलने की कवायद तेज कर दी है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने पट्टाधारियों की निर्धारित सीमा तक अतिरिक्त कब्जे की जमीन के नियमितिकरण, अवैध या अनियमित पट्टा हस्तांतरण के नियमितिकरण और भू-उपयोग में परिवर्तन के नियमितिकरण कार्यों में तेजी लाने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है। कलेक्टरों को विकास प्रभार के निर्धारण में पूर्ण सावधानी बरतने कहा गया है जिससे कि किसी प्रकार की वित्तीय हानि न हो।