इससे पहले शुक्रवार को इओडब्ल्यू की टीम ने चिप्स के दफ्तर में एक बार फिर छापेमारी की। इस दौरान इओडब्ल्यू के अफसर दफ्तर में दस्तावेजों और कम्प्यूटरों की जांच करते रहे। करीब 5 घंटे तक विशेषज्ञों की मदद से इसमें रखा गया डाटा निकाला गया। साथ ही इसे जांच के लिए पेन ड्राइव स्टोर किया गया है।
इओडब्ल्यू के पुलिस अधीक्षक एके एलेसेला ने बताया कि जांच के दौरान बहुत सारे दस्तावेज चिप्स के ऑफिस से जब्त किया है। टीम को 25 बंडल फाइल मिले हैं, जिसकी स्कूटनी की जा रही है। इसमें से बहुत सी निविदाओं की पहचान की गई है, इसमें कुछ बहुत ही गोपनीय और मूल्यवान निविदाएं भी शामिल हैं।
इसके संबंध में जानकारी लेने और कुछ अन्य दस्तावेजों को खंगालने के लिए टीम दोबारा चिप्स के दफ्तर पहुंची है। इस समय जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच चल रही है। यह जांच पूरी होने के बाद संबंधित पक्षों को पूछताछ के लिए बुलवाया जाएगा।
कम्प्यूटरों के पासवर्ड मांगे
चिप्स के दफ्तर में रखे हुए अधिकांश कम्प्यूटर और लैपटाप को लॉक करके रखा गया था। उसके पासवर्ड नहीं होने के कारण जांच टीम के अधिकारी घंटो परेशान होते रहे। हालात को देखते हुए संबंधित कर्मचारी को बुलवाकर
उसे खुलवाया गया। साथ ही डाटा स्टोर करने के बाद निविदाओं के संबंध में पूछताछ की गई।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैग की रिपोर्ट में साढ़े चार हजार करोड़ रुपए के इस घोटाले की जांच कराए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 जनवरी को आदेश जारी कर जांच की जिम्मेदारी इओडब्ल्यू आइजी एसआरपी कल्लूरी को सौंपा था।