ऐसे किया गया है तैयार
डॉ ध्रुव ने पत्रिका को बताया, पिछले साल जनवरी में इस पर रिसर्च शुरू किया गया। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंट सिस्टम्स, जर्मनी और सेविले विश्वविद्यालय, स्पेन के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के साथ मिलकर इस चुनौती का हल ढूंढ निकला है। पानी की बूंदों में निलंबित व रासायनिक रूप से सक्रिय नैनो कणों के एक उच्च घनत्व का उपयोग करके लैब में एक्टिव मैटर तैयार किया। आपने देखा होगा शाम को परिंदों का झूंड एक दिशा में खास शेप में लौट रहा होता है। ठीक ऐसे ही मछलियों का ग्रुप खास आकृति के साथ आगे बढ़ रहा होता है। बॉडी के सेल भी आपस में बात करते हैं। ठीक ऐसे ही बैक्टीरिया का ग्रुप बॉडी पर एक साथ हमला करता है तभी कोई गंभीर बीमारी होती है। यह सब एक एक्टिव मेटर की तरह काम करते हैं और लैब में बनाया गया एक्टिव मेटर भी इसी तरह की क्वालिटी देता है।
अभी शुरुआती प्रक्रिया है
ये रिसर्च पूरा जरूर हुआ है लेकिन इसमें काफी काम बाकी है। इसका फायदा तभी होगा जब हम केस स्टडी करेंगे। केस स्टडी का मतलब है कि कोई बीमारी कैसे होती है उस पर एक्टिव मेटर के जरिए स्टडी करना। मानलो किसी को बैक्टीरियल इन्फेक्शन हुआ है। इन्फेक्शन के वक्त बॉडी में जिस तरह के बॉयोलॉजिकल चेंजेंस हो रहे हैं, बैक्टरीया किस तरह अटैक कर रहे हैं, उनको हम कैसे रोक सकते हैं। इस पर स्टडी जब होगी और जो नतीजे आएंगे उसके हिसाब से इस खोज की उपलब्धता का पता चलेगा।