हर माह आरा मिलों को जांचने का नियम वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार रेंज टीम को हर माह 4 आरा मिलों की जांच का लक्ष्य रहता है। लगातार रेंज की टीम अवैध रुप से लकड़ी लाने वालों पर नजर रखते हुए कार्रवाई भी करती है। गरियाबंद, दुर्ग, महासमुंद और रायपुर जिले के लकड़ी तस्कर प्रतिबंधित पेड़ कहवा को काटकर उसे राजधानी के आरा मिलों में खपा रहे है। अफसर सूचना मिलने पर कार्रवाई करने का दावा कर रहे हैं।
तस्करी का गिरोह है एक्टिव पेड़ तस्करों (KAHWA) के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले एक्टविस्टों की मानें तो कहवा लकड़ी के कारोबार में अलग-अलग गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह के सदस्य जंगलों से लकड़ी काटकर उसे सडक़ के रास्ते किस्तों में आरा मिल तक पहुंचाते हैं। इन तस्करों से वन विभाग के कुछ कर्मचारी भी मिले हुए है, जो पैसों की लालच में प्रतिबंधित लकड़ी को बिना जांच के टोल नाकों में सेटिंग कर लकड़ी से भरी गाडिय़ों को पार करवाते हैं। पूरा गिरोह आरा मिल संचालकों के इशारे पर चलता है और प्रतिबंधित लकड़ी मिल में गिराने के बाद उनका भुगतान किया जाता है।
25 मार्च को इस साल की पहली कार्रवाई अभनपुर के लमकेनी गांव में 25 मार्च को मुखबिर की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने आरा मिल में छापा मारकर भारी मात्रा में अवैध काष्ठ जब्त किया गया। अवैध काष्ठ संग्रहण व चिरान की शिकायत के आधार पर डीएफओ विश्वेश कुमार के निर्देश पर उप वनमंडलाधिकारी विश्वनाथ मुखर्जी की टीम ने कार्रवाई की थी। ग्राम लमकेनी स्थित शुक्ला आरा मिल में 35 घनमीटर कहवा (अर्जुन) लकड़ी जब्त किया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार कहवा (KAHWA) का बाजार मूल्य 5 से 7 लाख रूपए है। घटनास्थल से गाडि़यों भी वनकर्मियों ने जब्त किया था, जिसे राजसात किया गया है। इस कार्रवाई के बाद यह हल्ला हुआ कि बड़े कारोबारियों को छोड़कर छोटे कारोबारियों पर कार्रवाई की जा रही है। वन विभाग के अधिकारी आरोपों का खंडन कर रहे हैं।
यहां चल रहा कहवा की लकड़ी चिराई और कोयला बनाने का खेल खमतराई, देवेंद्र नगर, फाफाडीह, पचपेड़ी नाका, भनपुरी, अभनपुर और रामसागरपारा में कहवा की चिराई हो रहा है। आमासिवनी, सकरी, उरला, सेजबहार, अभनपुर और खरोरा में कहवा लकड़ी से कोयला बनाने का काम किया जा रहा है।