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एक साल बाद भी रेत घाटों में नहीं लगे सीसीटीवी कैमरे, अवैध वसूली और खनन को छुपाने का खेल

locationरायपुरPublished: Nov 24, 2020 11:27:39 pm

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CG Desk

– 4 माह बाद रेत घाट शुरू, तय शुल्क से ज्यादा वसूली .- निविदा शर्तों को नहीं मानने पर ठेका निरस्त करने का प्रावधान .

sand mining update

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रायपुर। बारिश के दौरान प्रतिबंधित हुए जिले के सभी स्वीकृत रेत घाट 4 माह बाद शुरू हो गए हैं। इसके साथ ही रेत उत्खनन और परिवहन होने लगा है, लेकिन इस बार पहले से भी अधिक कीमत लोगों से वसूला जा रहा है। इस कारण 4 माह तक घरों की मरम्मत या नया घर बनाने के इंतजार में बैठे लोगों के बीच हाहाकार मच गया है।
पिछली बार जहां सरकारी दर से दोगुनी कीमत पर लोगों को रेत उपलब्ध कराई जा रही था, वहीं इस बार 3-4 गुना ज्यादा कीमत वसूली जा रही है। अहम बात यह है कि ठेका शर्तों के मुताबिक रेत घाटों में पहले दिन से ही सीसीटीवी कैमरे लगाना था। लेकिन खनिज विभाग अनोखे तर्क देकर साल भर से ज्यादा समय बीतने के बाद भी कैमरे नहीं लगवा पाया हैं। इसका फायदा उठाकर ठेकेदार अवैध परिवहन के साथ आेवर लोडिंग भी कर रहे हैं। रेत घाटों में बिना रायल्टी पर्ची के ही परिवहन किया जा रहा है। खनिज विभाग का कहना है कि बिजली और नेटवर्क की समस्या के कारण कैमरे नहीं लग पा रहे हैं। जबकि दूरस्थ जिलों के रेत घाटों में कैमरे लग गए हैं।
हो रही है जमकर वसूली
स्वीकृत रेत खदानो में 98 रुपये घन मीटर लोडिंग चार्ज है। इस प्रकार हाइवा में रेत लोडिंग का चार्ज 10 घन मीटर में 980 रुपए, पीटपास का 500 रुपये 200 रुपये अन्य टैक्स निर्धारित है। जो कि 1680 रुपये पीटपास सहित गाड़ी लोडिंग होता है। वर्तमान मे बिना रायल्टी के 5000 पांच हजार गाड़ी ट्रांसपोर्टरो से ले रहे हैं। इस प्रकार शासन की रायल्टी भी चोरी कर रही हैं। खनिज विभाग आंखे मूंदे बैठा है। शाम सात बजे के बाद रेत खदानों का संचालन पूर्ण रूप से वर्जित है, किंतु शासन द्वारा स्वीकृत खदानों में रात्रि 7 बजे के बाद खुलेआम बेधड़क अवैध रूप से बिना रायल्टी के रेत उत्खनन किया जा रहा है।
रायल्टी और बिना रायल्टी का रेट तय
पत्रिका टीम ने कागदेही और समोदा रेत घाट पर पहुंचकर जानकारी ली तो वहां तैनात कर्मचारियों ने प्रति हाइवा से सरकारी तय शुल्क की जगह १० ***** से रायल्टी समेत ४५ सौ और बिना रायल्टी के ३५ सौ की वसूली की जा रही थी। ट्रक चालकों ने बताया कि अधिकांश ट्रिप में कोई पर्ची नहीं दी जाती है। ज्यादा रकम लेने के सवाल करने पर घाट से रेत नहीं देने की मनमानी की जाती है। ऐसे में वे लोगों से अधिक कीमत लेने को मजबूर हो रहे हैं।
नेटवर्क, बिजली की समस्या के कारण कैमरे नहीं लग पा रहे हैं। ठेकेदारों को कैमरे लगाने के लिए फिर से कहा गया है।
हरकेश मारवाह, उप संचालक, खनिज विभाग

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