रेलवे से किसी ने 3 तो किसी ने 5 से 6 वेंडरों को रखने का लाइसेंस शुल्क जमा करअनुमति लिया हुआ है। लेकिन रखते हैं, 10, 15, 20 लोगों को, जिनके पास न तो ड्रेस होता है और न ही आईडी कार्ड। इसलिए ऐसे वेंडर खुलेआम यात्रियों को दोगुना कीमत पर खानपान बेचते हैं और पकड़े भी नहीं जाते हैं, क्योंकि उनकी पहचान यात्री नहीं कर पाते है, इसलिए नामजद शिकायत
करने में दिक्कत होती है। स्टेशन रायपुर में पिछले दो दिन से अवैध वेंडिंग का खेल बंद था। क्योंकि रेलवे बोर्ड की यात्री सुविधा कमेटी जांच करने आई थी। उसके जाते ही रेलवे कैंटीन से लेकर, फूड प्लाजा और स्टॉल क्रमांक बी 6 एवं सी 6 में अवैध वेंडर रखकर यात्रियों को खानपान सप्लाई का खेल शुरू कर दिया गया।
सुरक्षा बल की अनदेखी से यात्री सुरक्षा पर सवाल रेलवे का सुरक्षा बल भी कोई ठोस रोक लगाने के बजाय सबकुछ जानते हुए भी अनदेखी करता है। इस मामले की शिकायत सुरक्षा आयुक्त तक पहुंचने पर शुक्रवार को उन्होंने मुख्यालय से स्पशेल टीम भेजकर अवैध वेंडरों की धर-पकड़कराने की कार्रवाई करवाई। सुरक्षा बल के स्टेशन पोस्ट में पकड़कर अवैध वेंडरों को लाया गया और उनसे पूछताछ की गई।
कोर्ट में मामला होने की जानकारी दी रेलवे बोर्ड यात्री सुविधा कमेटी के पदाधिकारियों से छत्तीसगढ़ रेलवे कमीशन वेंडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ऋषि उइके सहित अन्य सदस्यों ने मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताई। स्टेशन में खानपान ठेकेदारों और रेलवे के बीच हुए एग्रीमेंट की कॉपी दिखाते हुए कहा कि इसमें वेंडरों को ईएसआई और ईपीएफ देने का प्रवधान है, परंतु उन्हें इस सुविधा से वंचित किया जा रहा है। मौके पर मौजूद सीनियर डीसीएम विपिन वैष्णव ने कमेटी के समक्ष पक्षा रखा कि स्टेशन के केटरिंग ठेकेदार का मामला न्यायालय में लंबित होने के कारण वेंडरो को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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अवैध वेंडरों के खिलाफ औचक रूप से कार्रवाई की जाती है। बगैर ड्रेस और आईडी के यात्रियों के बीच खानपान की सप्लाई कराना जुर्म है। एमके मुखर्जी, पोस्ट प्रभारी रायपुर आरपीएफ
अवैध वेंडरों के खिलाफ औचक रूप से कार्रवाई की जाती है। बगैर ड्रेस और आईडी के यात्रियों के बीच खानपान की सप्लाई कराना जुर्म है। एमके मुखर्जी, पोस्ट प्रभारी रायपुर आरपीएफ