नक्सलियों की आर्थिक स्थिति खराब, 50 करोड़ वसूलने का बनाया ऐसा प्लान
अब मामा जी के बाद जुमलाना जी को भी सबक सिखाने का मूड बना चुकी है जनता – भूपेश बघेल
“लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,बस एक मां है जो कभी खफा नहीं होती” मशहूर शायर मुनव्वर राना का यह शेर ही काफी है मां के मायने समझाने के लिए लेकिन आज लोग उस मां को भी बोझ समझ कर सड़क पर छोड़ देते हैं और इसी का जीता-जागता उदाहरण है राजधानी में कई दिनों से 85 साल की एक बूढ़ी मां, जिसे अपने ही बच्चों ने बुढ़ापे में अपनाने से इनंकार कर दिया है। मां ने जिन बच्चो को जन्म दिया पालन पोषण किया आज उन्ही बच्चो ने मां की देखरेख के समय बोझ समझ कर घर के बाहर फुटपाथ पर फेक दिया।45 डिग्री तापमान में पड़ी रही सडक़ पर
अहिल्या जांगड़े 85 वर्षीय वृद्ध महिला एक पैर से अपाहिज हैं वो बिना लकड़ी या वॉकर के सहारे चल नही सकती। पुरे एक दिन वह 45 डिग्री तापमान में सडक़ पर पड़ी रही । “कुछ फर्ज है” हमारा की टीम को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने महिला का इलाज प्राथमिक उपचार अंबेडकर अस्पताल में कराया।वृद्धाश्रमों ने भी नहीं दिया साथ
“कुछ फर्ज है हमारा” की टीम ने कई वृद्धाश्रमों में बात करने पर भी उनकी विकलांगता के कारण उन्हे रखने से इंकार कर दिया।टीम ने सखी वन स्टॉप सेंटर से सहायता ली और वहां शरण दिलाई। घर वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। कुछ फर्ज है हमारा की टीम के उर्वशी वैष्णव, मौसमी सिंह, स्मारिका राजपूत व रितेश जालान ने महिला को सुरक्षित सराय तक पहुंचा।