बता दें कि नेशनल हाइवे के सर्वे में टाटीबंध चौक डेढ़ से दो लाख वाहनों की आवाजाही रोज होती है। सालभर में 34 से अधिक जानलेवा हादसे हो चुके हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जनवरी 2020 में इस खतरनाक चौक पर फ्लाईओवर निर्माण 89 करोड़ की लागत से शुरू हुआ। इससे पहले से ब्रिज के दायरे में आने वाली 1600 वर्गमीटर निजी जमीन के खसरों का परीक्षण कर मुआवजा की प्रक्रिया चली, परंतु आज तक िस्थति जस की तस है। ऐसे में प्रभावितों ने चौक से जो रोड धरसीवां ट्रांसपोर्ट नगर की तरफ निकली है, उसके कार्नर में निर्माण को रोक दिया है। उनका कहना है कि जब तक नेशनल हाइवे के क्षेत्रीय अधिकारी मुआवजा भुगतान नहीं कर देते हैं, तब तक किसी भी सूरत में आगे निर्माण होने नहीं देंगे।
केवल ब्रिज के ऊपरी हिस्से में चल रहा निर्माण
टाटीबंध फ्लाईओवर के एप्रोच साइड का काम रुका हुआ है। क्योंकि इसी दायरे में निजी जमीन का पेंच है। इस समय केवल ब्रिज के ऊपरी हिस्से में ही काफी धीमी गति से निर्माण चल रहा है। अफसरों के अनुसार यह ब्रिज 2021 में बन जानी थी, परंतु कोरोनाकाल, बिजली खंभों की शिफि्टंग और प्रभावितों की जमीन का भुगतान नहीं होने जैसी िस्थति के कारण ही जिस तेजी से निर्माण होना था, वैसा हुआ नहीं।
कलेक्टर ने नेशनल हाइवे के अधिकारी को तलब किया
टाटीबंध चौक पहुंचकर कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे ने जायजा लिया और मौके पर मौजूद नेशनल हाइवे के क्षेत्रीय अधिकारी और रायपुर एसडीओ राजस्व देवेंद् पटेल को तीन दिन के अंदर प्रभावितों के मामले का निराकरण करने का निर्देश दिया था। जिसे 15 दिन बीतने को है। मुआवजा भुगतान में आनाकानी को लेकर दो दिन पहले ही कलेक्टर ने नेशनल हाइवे के प्रोजेक्ट अधिकारी संजय वर्मा को तलब कर मामले का जल्द निराकरण करने कहा।
7 करोड़ मुआवजा और उस पर अब 49 लाख देना पड़ेगा ब्याज
राजस्व अधिकारियों के अनुसार जनवरी 2022 में 7 करोड़ रुपए का अवार्ड पारित कर फाइल एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी को भेजी गई थी, परंतु उनके द्वारा लगातार उलझाया गया। तर्क दिया जा रहा था कि मुआवजा दर काफी मंहगा है, जबकि कलेक्टर गाइड लाइन में 15000 वर्गमीटर तय है। इसके बावजूद प्रभावितों को मुआवजा देने में कभी एक जमीन का दोबारा मुआवजा तय करने का बहाना तो कभी ज्यादा रेट का हवाला। इसलिए निराकरण आज तक नहीं हुआ। अब 7 करोड़ की राशि पर 12 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से 49 लाख रुपए और भुगतान करना पड़ेगा।
खसरा नंबरों का पूरा मिलान करके मुआवजे की राशि तय की गई थी। एनएचएआई के क्षेत्रीय कार्यालय के आनाकानी की वजह से ऐसी िस्थति बनी है। कलेक्टर साहब ने प्रोजेक्ट अधिकारी को जल्द प्रभावितों को मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया है।
देवेंद्र वर्मा, राजस्व अधिकारी, रायपुर