रिपोर्ट के अनुसार, 2007 से 2015 के बीच आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, मणिपुर में एचआईवी प्रभावित वयस्कों की संख्या 50 फीसदी तक घटी है, अन्य राज्यों में भी एचआईवी प्रभावित वयस्कों की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन छत्तीसगढ़, गुजरात, असम, त्रिपुरा और उत्तरप्रदेश में एचआईवी प्रभावितों की संख्या बढ़ी है।
2011 से 2015 के बीच पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में अनुमानत: एचआईवी के 9544 नए रोगी सामने आए हैं, वहीं इस रोग से अनुमानत: 7296 लोगों की मौत हुई है।
निरंतर घट रही मरने वालों की संख्या
रिपोर्ट बताती है कि देश में 2007 से 2015 के दौरान एड्स से होने वाली मौतों में 70 से 81 फीसदी की कमी आई है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह कमी 40 से 47 के बीच है। आंकड़े बताते हैं कि 11 राज्यों में जिनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है, 18 से 24 वर्ष की गर्भवती महिलाओं में एचआईवी का संक्रमण बढ़ा है।
छत्तीसगढ़ में बढ़ते जा रहे एचआईवी संक्रमण का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2011 में जहां 15 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में एचआईवी का अनुमानित संक्रमण 1807 था, वो 2015 में बढ़कर 1984 हो गया। राज्य में 2011 से 2015 के बीच एचआईवी संक्रमण का अनुमानित लेखा जोखा निम्नवत है।
वर्ष 15 वर्ष से ज्यादा उम्र
वालों में एचआईवी का अनुमानित संक्रमण
2011 – 1807
2012 – 1871
2013 – 1922
2014 – 1960
2015 – 1984
एमडीजी इंडिया कंट्री रिपोर्ट में एड्स से मरने वालों की अनुमानित संख्या भी चौंकाती है। हालांकि एड्स से मरने वालों की संख्या निरंतर घट रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में एड्स से मरने वालों की अनुमानित संख्या 1712 थी, जो 2015 में घटकर 1062 हो गई, यानि एड्स से मरने वालों में 650 की कमी आई। एड्स से मरने वालों की वर्षवार अनुमानित संख्या निम्नवत है
वर्ष एड्स से मरने वालों की अनुमानित संख्या
2011 – 1712
2012 – 1681
2013 – 1532
2014 – 1309
2015 – 1062
अभी भी एड्स की कम जानकारी
रिपोर्ट बताती है कि 2015-16 के दौरान 22.3 फीसदी महिलाओं को एचआईवी और एड्स की जानकारी थी, जबकि पुरुषों में यह प्रतिशत 35.3 था, प्रदेश के 28.8 फीसदी युवा एचआईवी एड्स के बारे में जानते हैं।