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रायपुर

बिजली की बढती मांग और घटती क्षमता ने बनाया खरीदार

आठ से 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदना (CG NEWS) मजबूरी इस साल एनटीपीसी ने भी लागत मूल्य बढ़ने का हवाला देकर 3.90 रुपये प्रति यूनिट दर कर दिया है। बीते वर्ष 3.83 रुपये की दर पर बिलिंग की थी। आपातकालीन स्थिति में अन्य निजी कंपनियों से आठ से 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने की मजबूरी सरकार के सामने खड़ी हो गई है। इस पर वितरण कंपनी का कहना है कि निजी संयंत्रों की बिजली उत्पादन लागत अधिक रहती है। इसकी वजह प्रदेश या सार्वजनिक उपक्रम के संयंत्रों को कोयले व पानी में मिलने वाली छूट है

रायपुरMay 02, 2022 / 09:36 pm

mohit sengar

churu bijli:  बिजली निगम ने ऐसे लगाया करंट

churu bijli:  बिजली निगम ने ऐसे लगाया करंट

रायपुर। प्रदेश में बिजली (CG NEWS) की बढ़ती मांग व संयंत्रों के बंद होने के साथ घटी उत्पादन क्षमता ने बिजली कंपनी को महंगी दर पर बिजली खरीदने के लिए विवश किया है।

राज्य में अप्रैल माह में पहली बार बिजली की मांग 5 हजार 300 मेगावाट तक जा पहुंची है। सेंट्रल सेक्टर व निजी संयंत्रों से बिजली खरीदनी पड़ रही। बिजली की मांग की वजह से उत्पादन और आपूर्ति में एक बड़ा अंतर आ गया है। जितना उत्पादन कंपनी कर रही, उतनी ही बिजली अब निजी संयंत्र से खरीदनी पड़ रही है। करीब तीन हजार मेगावाट उत्पादन क्षमता कंपनी के संयंत्रों की है। वर्तमान में 2 हजार 600 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है। करीब इतनी ही बिजली अलग अलग दर पर सरकार निजी कंपनियों से खरीद रही है। इसमें राहत बस इतना है कि एनटीपीसी, बाल्को, लैंको जैसे बड़े विद्युत उत्पादक कंपनियां अनुबंध के अनुसार लागत मूल्य पर बिजली आपूर्ति कर रही हैं।बाक्स
आठ से 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदना (CG NEWS) मजबूरी इस साल एनटीपीसी ने भी लागत मूल्य बढ़ने का हवाला देकर 3.90 रुपये प्रति यूनिट दर कर दिया है। बीते वर्ष 3.83 रुपये की दर पर बिलिंग की थी। आपातकालीन स्थिति में अन्य निजी कंपनियों से आठ से 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने की मजबूरी सरकार के सामने खड़ी हो गई है। इस पर वितरण कंपनी का कहना है कि निजी संयंत्रों की बिजली उत्पादन लागत अधिक रहती है। इसकी वजह प्रदेश या सार्वजनिक उपक्रम के संयंत्रों को कोयले व पानी में मिलने वाली छूट है। 440 मेगावाट क्षमता वाले कोरबा पूर्व ताप विद्युत संयंत्र को बंद करने के बाद नए संयंत्र की स्थापना की योजना अब तक तैयार नहीं की गई है। इस साल 5,500 मेगावाट तक बिजली की मांग पहुंच सकती है। उत्पादन की तुलना में खपत दो गुनी हो चुकी है।
कंपनी के संयंत्रों के खराब प्रदर्शन से बढ़ी चिंता

बिजली संकट के दौर में विद्युत कंपनी को संयंत्रों के खराब प्रदर्शन (CG NEWS) से जूझना पड़ रहा है। बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों ने 20 हजार 295 मिलियन यूनिट उत्पादन के लक्ष्य पर 17 हजार 947.10 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन किया। केवल 500 मेगावाट क्षमता वाली डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र ने ही बेहतर प्रदर्शन किया। यहां निर्धारित लक्ष्य 3 हजार 700 मिलियन यूनिट से अधिक 3 हजार 907.79 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली उत्पादन हुआ। 1 हजार 340 मेगावाट क्षमता वाली हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कोरबा पश्चिम में लक्ष्य 9 हजार 315 एमयू की जगह 8 हजार 777.24 एमयू व 1 हजार मेगावाट क्षमता वाले मड़वा ताप विद्युत संयंत्र में सात हजार एमयू की जगह 4 हजार 853.52 एमयू ही बिजली उत्पादन हुआ। वहीं 120 मेगावाट के बांगो जल विद्युत संयंत्र ने 280 एमयू लक्ष्य को पार कर 408.55 एमयू बिजली उत्पादन किया।
इन सेक्टरों से खरीद रहे बिजली

बिजली कंपनी के अधिकारियों ने बताया,कि एसीबिल (270),एसीबिल (30), बालको, डीबी पावर लिमिटेड, जिंदल पॉवर लिमिटेड, केएसके महानदि पावर लिमिटेड, लेनको, एमसीसीपीएल, आरईजीएल, एससीपीएल, एसकेएस पावर जनरेशन लिमिटेड, टीआरएन एनर्जी, आरईएल और एसवीपीपीएलजरूरत के अनुरूप बिजली ली जा रही है।
अनुबंधित व सम्मिलित स्त्रोंतो से की जा रही आपूर्ति

बिजली कंपनी के अधिकारियों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान कहा, कि प्रदेश में बिजली संकट किसी भी तरह का नहीं है। बढ़ती मांग पर कंपनी की नजर है। अनुबंधित व बिजली एक्सचेंज के सम्मिलित स्त्रोतों से बिजली अर्जित की जा रही है। बिजली कंपनी ने अपने बेहतर प्रबंधन से रिकार्ड विद्युत मांग की आपूर्ति बिना कटौती के प्राप्त की है। बिजली कंपनी के अधिकारी लगातार बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगे हुए है।
आने वाले दिनों में डिमांड और बढ़ेगी

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल अभियंता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पांडेय का कहना है कि अभी 59 लाख घरेलू के साथ कृषि, औद्योगिक व व्यवसायिक उपभोक्ता हैं। आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ जाएगी। वर्ष 2027 तक छत्तीसगढ़ में बिजली की डिमांड आठ हजार मेगावाट तक पहुंच जाएगी। इस दृष्टि से प्रदेश में जल्द ही एक हजार मेगावाट क्षमता वाले विद्युत संयंत्र की स्थापना की आवश्यकता है। इस बीच पुनः एक हजार की एक अन्य संयंत्र की योजना भी रखनी होगी, ताकि आने वाले दिनों में बिजली की मांग सरकार पूरी कर सके।
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