कोको की तबीयत ठीक नहीं
कचना निवासी श्रिया श्रीवास्तव के पास ३ महीने का लेब्राडोर नस्ल का फीमेल पपी है कोको। श्रिया इसे बहुत प्यार करती हैं। अभी कोको की तबीयत खराब चल रही है। दोनों टाइम चेकअप के लिए ले जाना पड़ रहा है। श्रिया ने बताया, कोको की हेल्थ ठीक नहीं होने की वजह से हम होली भी ठीक से सेलिब्रेट नहीं कर पाए। सभी का ध्यान इसी के तरफ रहता है। श्रिया जॉब भी करती है। एेसे में वह दिनभर फोन पर कोको की अपडेट लेती रहती हैं।
सबकी लाडली है क्यूटी
टैगोर नगर निवासी संजना जैन के घर जापानी प्रजाति की सेटुजु फीमेल पपी है। इसका नाम है क्यूटी। संजना की फैमिली में सभी इसे चाहते हैं। ये सभी की लाडली है। संजना कहती है कि हमारे यहां क्यूटी से सभी प्यार करते हैं, लेकिन ये मुझसे काफी इन्वाल्व है। मैं कभी किसी बात को लेकर गुस्सा होती हूं तो इसे पता चल जाता है। कभी खामोश रहने पर इसे अहसास हो जाता है कि उदास हूं। हम दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझते हैं।
मुश्किल है गुजारा इनके बिना
डाबरमेन (इटालियन) का नाम डोब है, जबकि हस्की (साइबेरियन) का नाम डज रखा है। कचना निवासी सौरभ यादव कहते हैं कि इनके बिना जीना मुश्किल है। बचपन से मुझे एनिमल्स से प्यार है। मॉर्निंग वॉक से दिनचर्या शुरू होती है। हेयर ब्रशिंग से लेकर ब्रेकफास्ट, लंच व डीनर खुद ही कराते हैं। चिकन, रॉयल केनिन, मटन और अंडा इनके खाने में शामिल है। दो टाइम घुमाना, एक घंटे खेलना, टाइम पर खाना देना और हर तीन दिन में नहलाना सौरभ की रुटीन में शामिल है।थैरेपी की तरह है टाइगर
समता कॉलोनी निवासी हितेश जोशी ने शेपहर्ड नस्ल ( जर्मन) का डॉगी पाला है। टाईगर की उम्र छह महीने की है। हितेश कहते हैंं कि टाईगर हमारे परिवार का सदस्य है। इसे अकेले छोड़कर जाने का मन नहीं होता। बहुत जरूरी हो कहीं जाना तो इसे किसी न किसी का साथ चाहिए होता है। मैं कितनी भी टेंशन में रहूं इससे मिलकर सारी थकान दूर हो जाती है। ये आज मेरे साथ है तो इसमें गौरव और कोनिका की खास भूमिका है। वे इसका खूब ख्याल रखते हैं।
एेसे रखें ख्याल
डॉ संजय जैन ने बताया कि पप्पीज की स्किन बालों से ढंकी होती है। इस वजह से इन्हें खूब गर्मी लगती है। इन्हें एसी-कूलर की जरूरत होती है। कई बार ये ठंडक पाने के लिए पानी में लेट जाते हैं। इससे इन्हें त्वचा संबंधी बीमारी का खतरा बना रहता है। इसलिए इन्हें नमी वाली जगह से दूर रखें। बाह्य परजीवी जूं और क्लिनी इनका खून चूसते हैं। इससे बचाव जरूरी है। इनके खाने में दही जरूर इस्तेमाल करें। निर्धारित टाइम पर नहलाएं। डॉक्टर की सलाह पर खानपान पर विशेष ध्यान दें।