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जवाब में रेल अधिकारियों ने ट्रेनों के नाम और रूट की भी जानकारी दी थी। इसके बाद 3 फरवरी को सुनवाई के दौरान रेल अधिकारियों ने फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में ट्रेनें शुरू कर देने की बात कही थी। 15 फरवरी को फिर से सुनवाई में रेलवे अधिकारियों ने 12 मार्च से शुरू की गई बिलासपुर-रायपुर-डोंगरगढ़ के बीच 12 ट्रेनों के परिचालन की जानकारी प्रस्तुत की। साथ ही दूसरे रूटों में ट्रेनों के परिचालन के लिए रेलवे बोर्ड को 19 ट्रेनों के परिचालन का प्रस्ताव बनाकर भेजने की जानकारी दी थी।19 में से 13 ट्रेनें चलाने की अनुमति
10 फरवरी को एसईसीआर जोन की ओर से रेल व गृह मंत्रालय को 19 स्पेशल पैसेंजर ट्रेनों को चलाने प्रस्ताव भेजा था, जिनमें से 178 फरवरी को 13 ट्रेनों को ही अनुमति मिली है, इनमें से 68861/68862 गोंदिया-झारसुगुड़ा-गोंदिया मेमू स्पेशल पैसेंजर, 68747/68748 बिलासपुर-कटनी-बिलासपुर 68802/68801 गोंदिया-भोपालपट्नम-गोंदिया पैसेंजर को अनुमति नहीं मिली। वहीं कोरबा और चिरमिरी रूट पर 1-1 पैसेंजर ट्रेनें चलाने की अनुमति दी गई है। रायगढ़ रूट पर एक भी ट्रेन के परिचालन की अनुमति रेलवे ने नहीं दी है। वहीं 22 फरवरी से जिन ट्रेनों को चलाने की अनुमति मिली है उसमें अधिकांश गोंदिया-दुर्ग, रायपुर-केवटी, इतवारी-छिंदवाड़ा के बीच की ट्रेनें शामिल हैं।
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कोयले लदान के कारण नहीं चला रहे ट्रेनें
हाईकोर्ट अधिवक्ता और याचिकाकर्ता ने कहा है कि एसईसीआर को हर वित्तीय वर्ष में माल लदान के लिए लक्ष्य मिलता है, जिसे अधिकारियों को हर हाल में पूरा करना पड़ता है। इस साल के माल लदान के लिए मिले लक्ष्य को पूरा करने में यात्री ट्रेनें बाधक हैं, इससे माल गाड़ियों का परिचालन प्रभावित होता है। रेलवे अधिकारियों ने माल लदान का लक्ष्य पूरा करने के लिए यात्री ट्रेनों के परिचालन को दरकिनार कर दिया है। बंगाल और अन्य राज्यों में ट्रेनों का परिचालन सामान्य और किराया पुराने दर पर लिया जा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में स्पेशल ट्रेन के नाम पर रेलवे यात्रियों से दो गुना किराया वसूल कर रहा है।
4 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अधिवक्ता श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रेनों के परिचालन को लेकर मामले की सुनवाई 4 मार्च को होगी। इस सुनवाई में रेलवे अधिकारियों को ट्रेनों के परिचालन से लेकर यात्री किराये के संबंध में जवाब प्रस्तुत करना है।