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भिलाई के इस नौजवान ने दी अमेरिकन म्यूजिसियन संग हार्मोनियम की संगत

locationरायपुरPublished: Apr 18, 2018 12:49:26 pm

Submitted by:

Tabir Hussain

शास्त्रीय संगीत में बचपन से थी रुचि अब कर रहे लाइव परफार्म

Classical Singer
ताबीर हुसैन @ रायपुर . संगीत एक साधना है और इसमें वही सध सकता है जिसमें तपस्या का माद्दा हो। यह कहना है भिलाई के 20 वर्षीय तबला व हार्मोनियम वादक इंद्रनील चौधरी का। 14 व 15 अप्रैल को सिब्बल पैलेस में आयोजित क्लासिकल म्यूजिकल प्रोग्राम में शास्त्रीय संगीत में वेस्टर्न म्यूजिक का फ्यूजन करने वाले अमरीका के इमाम संग परफार्म किया। इंद्रनील की खासियत ये है कि उन्हें नए जमाने के तड़क-भड़क गाने व म्यूजिक जरा भी पसंद नहीं। वे इसे सुनना भी पसंद नहीं करते। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के अंश।

आपके गुरु कौन हैं?

पिछले 14 वर्षों से शास्त्रीय व सुगम गायन, तबला वादन एवं हार्मोनियम वादन कर रहा हूं। गायन के गुरु पंडित कीर्ति व्यास, पंडित रविशचन्द्र कालगांवकर हैं और तबला के गुरु पंडित पार्थसारथी मुखजऱ्ी हैं। हार्मोनियम वादन की शिक्षा मैं मेरे सभी गुरुओं द्वारा दिए जाने वाले सुर-ताल के ज्ञान व स्वयं के शोध से प्राप्त करता हूँ।
शास्त्रीय संगीत के प्रति रुचि कैसे जागी?
मेरा जन्म केवल संगीत के लिए हुआ है। मम्मी के पूर्वज आर्टिस्ट रहे हैं। मम्मी से ही मैं प्रेरित हुआ हूं। इसके साथ ही मुझे संगीत में रुचि ईश्वर से ही प्राप्त हुई है, लेकिन मुख्यत: हार्मोनियम वादन में तबला गुरु पंडित पार्थसारथी मुखर्जी ने जगाया। बीएसपी कॉम्पिटीशन में लोक गीत क्लास २ पहली प्रस्तुति लोग गीत पर थी, जिसे मैंने बीएसपी कॉम्पिटीशन में गाया था।

Classical Singer

आप खुद को किस विधा में माहिर मानते हैं?
माहिर तो किसी में भी नहीं हूं, हां इतना कह सकता हूं कि मैं तीन विधाओं की साधना कर रहा हूं। तबला व हार्मोनियम वादन के अलावा गायन। भजन, गजल व ठुमरी गाता हूं। अब तक भिलाई, रायपुर, बिलासपुर , खामगांव, भोपाल, इन्दौर, पुणे, चेन्नई।

आगे की योजना

जीवनभर संगीत की सेवा करते हुए पूरे विश्व में संगीत का प्रचार-प्रसार करना। आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छे संगीत अकादमियों का निर्माण करना। आप जिस फील्ड में सफल होना चाहते हों उसके लिए समर्पण बहुत जरूरी है। बिना डेडिकेशन के सक्सेस नहीं मिल सकती।
Classical Singer
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