मगर, कोई कार्रवाई नहीं हो रही। जिम्मेदार विभागों के अधिकारी कह रहे हैं कि शिकायत नहीं है, जबकि ऐसे प्रकरणों की भरमार है। जिम्मेदार पदों पर बैठे नेता, अफसर और खास लोग नियमों का तोड़ते हुए पाए गए हैं। हर, रोज ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि ‘अपनों’ पर एफआईआर कैसे दर्ज की जाए? जब आला लोग नियम तोड़ रहे हैं तो आम लोग क्यों नियमों से डरें।
मार्च-अप्रैल में जब विदेश से लौटाने वालों द्वारा खुद के विदेश से आने, होम क्वारंटाइन के नियमों का पालन नहीं करने, घूमने और पार्टी करने जैसी बातें सामने आईं तो इन पर एफआईआर दर्ज की गई। देवेंद्र नगर रायपुर और कोरबा में लंदन से लौटे छात्रों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। कोरबा में तो छात्र के पालक पर भी मामला दर्ज हुआ था। तब मामले दर्ज होने से लोगों के अंदर डर था। नियम तोडऩे से लोग डर रहे थे, मगर अब यह डर खत्म हो चुका है।
इनसे तो नहीं थी ऐसी उम्मीद-
अब तक सामने आए प्रकरणों में नेता, पुलिस विभाग के कर्मचारी-अधिकारी, स्वास्थ्यकर्मी, नगर निगमों के सफाईकर्मी, व्यापारी और विदेश से लौटने वाले यात्री-छात्र प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन्होंने रिपोर्ट आने का इंतजार नहीं किया और ये इस दौरान अपना काम करते रहे। घूमते रहे। इनसे कई लोग संक्रमित हुए हैं।
क्या कहता है नियम-
स्वास्थ्य विभाग का नियम है कि जिस भी व्यक्ति का कोरोना सैंपल लिया जा रहा है, रिपोर्ट आने तक उसे खुद को क्वारंटाइन कर लेना है। यह बात सैंपल लेने वाला टेक्नीशियन भी बताता है। यहां तक की संबंधित व्यक्ति को परिजनों से भी 2-3 दिन के लिए दूरी बना लेनी है, क्योंकि कोई नहीं जानता कि कौन पॉजिटिव है, कौन नहीं?
विभाग की अपील-
अगर आपको नियम तोडऩे वालों के संबंध में कोई भी जानकारी है तो 104, जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय, जिला कलेक्टोरेट और स्थानीय थाने में सूचना दें। ताकि ऐसे लोगों को विरुद्ध कार्रवाई हो सके। आपका नाम-पता गोपनीय रखा जाएगा। आप ऐसा करके वायरस के फैलाव को रोकने में मदद कर सकते हैं। एक नागरिक के बतौर अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं।
सभी जिलों प्रमुखों को शासन की तरफ से निर्देश हैं कि जो भी कोरोना महामारी अधिनियम 2020 का पालन नहीं करता है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग