5 बार स्लिपडिस्क होने पर डॉक्टरों ने मना किया
बिना सीट की साइकिलिंग के चलते 5 बार स्लिपडिस्क शिकार होना पड़ा। डॉक्टरों ने साइकिल छूने से ही मना कर दिया। यह बात वर्ष 2015 की है। तबसे वे मोटिवेशनल क्लास लेने लगे। अब तक करीब 2000 लैक्टर स्कूल-कॉलेज, सैनिक स्कूल, जेल में दे चुके हैं।इन देशों की यात्राएं
म्यामार और जापाान में सांकेतिक यात्राएं की। इससे पहले लाओत्स, वियतनाम, कंबोडिया में यात्राएं कर चुके हैं। अपनी साइकिल में वे दो गमले रखते थे जिससे कि पर्यावरण संरक्षण का मैसेज भी दे सकें।ऐसे हुई थी शुरुआत
हीरा बताते हैं कि सन् 97 में आजादी की स्वर्ण जयंती पर मैंने सेलिब्रेशन के तौर पर मुंबई से दिल्ली, वाघा बॉर्डर से जम्मू होते हुए कोलकाता की साइकिल यात्रा की थी। दूसरी यात्रा की कोई प्लानिंग नहीं थी। जब बेटे को नशे की गिरफ्त में जाते देखा तो लाइफ में टर्निंग प्वाइंट आ गया और मैंने बिना सीट के साइकिलिंग शुरू की। अब चूंकि डॉक्टर मना कर चुके हैं तो कभी-कभी बेल्ट बांधकर गेयर वाली साइकिल जरूर चला लेता हूं।