सिद्धार्थ बैठकर व खड़े रहकर नौली क्रिया आसानी से करता है। योगाचार्य भारत भानू साहू ने बताया कि नौली क्रिया आसान को लाखों में कोई एक योगी ही सीख पाता है। महज 12 साल की आयु में इस कठिन आसन को निपुणता से करना वास्तव में आश्चर्य की बात है। इस क्रिया को करने के लिए लगातार अभ्यास, खानपान में नियंत्रण व पेट की सफाई समेत अनेक बातों का ध्यान रखना पड़ता है। तभी इस क्रिया को किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जिले में उनकी जानकारी में एक भी बालक इस क्रिया को नहीं कर पाया। इस पर ग्राम सोनपुरी के बालक सिद्धार्थ द्वारा नौली क्रिया किया जाना प्रशंसनीय है। सिध्दार्थ के पिता गजराज राजपूत ने बताया कि वह शिक्षक और बच्चों केा योग कराते हैं, जिसे देखकर सिध्दार्थ पिछले 5 साल से योग कर रहा है और करीब 20 प्रकार के आसन कर लेता है। नौली क्रिया प्राणायाम दोनों तरह से बैठकर व खड़े होकर करता है।
घर की छत को ही बना लिया योग प्रशिक्षण केंद्र
प्राचीन भारतीय विद्या योग को लोगों को सिखाने का जुनून दंतेवाड़ा जिले के सरगी पारा कारली निवासी डिप्टी रेंजर दंपती पर ऐसा चढ़ा कि उन्होंने घर की छत को ही योग भवन का रूप दे दिया है, जहां वे रोजाना आस-पास के निवासी ग्रामीणों व उनके बच्चों को योग सिखाते व उनके साथ योगाभ्यास करते हैं। वन विभाग में डिप्टी रेंजर के पद पर कार्यरत 55 वर्षीय भगत राम साहू व उनकी पुलिस सब इंस्पेक्टर पत्नी उर्मिला साहू के योग व प्राणायाम के प्रति यह जुनून सबको प्रेरणा देता है। योगासन-प्राणायाम के साथ ही वे वनौषधियों के उपयोग व उनके संरक्षण के प्रति भी लोगों को जागरूक करने में जुटे रहते हैं।
पत्नी की बीमारी ने जगाई योगाभ्यास के प्रति ललक
डिप्टी रेंजर भगत राम साहू के जीवन में योगाभ्यास के प्रति ललक उनकी पत्नी उर्मिला ने जगाई। साहू के मुताबिक स्कूली जीवन से ही वे स्वास्थ्य के प्रति काफी सजग थे। सुबह उठकर कसरत करना व दौड़ लगाना उनकी दिनचर्या में शामिल था। इस बीच उनकी पत्नी उर्मिला घुटनों के दर्द का इलाज करवाते-करवाते दिल की बीमारी से पीड़ित हो गईं। दवाइयां खाने से परेशान उर्मिला ने अपनी जीवनशैली में बदलाव किया और नियमित योगासन व प्राणायाम के अभ्यास से अपनी इच्छा शक्ति के बल पर न सिर्फ पूरी तरह स्वस्थ हुईं,बल्कि दवाओं के सेवन से भी पूरी तरह छुटकारा पा लिया। इसके बाद उर्मिला ने उन्हें सामान्य कसरत व जॉगिंग के साथ ही अनिवार्य रूप से योगासन करने प्रेरित किया। वर्ष 2012 से योग के प्रति पतंजलि योग समिति के जरिए जुड़ाव हुआ। इसके बाद से लोगों को योग की ट्रेनिंग देने का जो सिलसिला जारी है, वह अब तक रुका नहीं है। योग के प्रति इसी जुनून व समर्पण के चलते कारली में अपने मकान की छत को ही योग भवन बना दिया, ताकि आस-पास के लोगों को योग का प्रशिक्षण दे सकें और स्वयं भी अभ्यास जारी रखें।