फिलहाल यह जानकारी प्रवर्तन निदेशालय तक नहीं पहुंची है। प्रवर्तन निदेशालय ने 11 जून को यह पत्र राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा था। इसके बाद 18 जून को सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने पत्र क्रमांक 376/ स/साप्रवि 2020 के माध्यम से सचिव डीडी सिंह ने समाज कल्याण विभाग से जानकारी मंगाई थी। अब डेढ़ माह से ज्यादा समय बीत चुके हैं, लेकिन जानकारी ईडी तक नहीं पहुंची है।
प्रवर्तन निदेशालय ने इसलिए दर्ज किया प्रकरण
एसीबी और ईओडब्ल्यू छापे के दौरान एमएल पांडेय के घर से करीब साढ़े छह लाख रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा बरामद की गई थी, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने फेमा का प्रकरण दर्ज कर इस मामले को जांच में लिया। प्रवर्तन निदेशालय विदेशी मुद्रा के देश में दुरुपयोग और विदेशों में निवेश किए हुए अवैध संपत्ति जैसे मामलों को देखता है।
2017 में हुई थी छापे की कार्रवाई
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने 8 फरवरी 2017 को एमएल पाण्डेय के घर में छापा मारा था। वहां करोड़ों की संपत्ति पाई गई थी। इसके बाद एसीबी ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर जांंच शुरू की, लेकिन आज तक इस मामले में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी और इस बीच एमएल पाण्डेय योग आयोग का सचिव बना दिया गया।
सहायक ग्रेड-3 की पोस्टिंग से सचिव तक का सफर
संपत्ति की बात हो या पद की एमएल पांडेय ने फर्श से अर्श तक का सफर बड़ी आसानी और तेजी से किया है। पाण्डेय की पहली पोस्टिंग सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी के रूप में दुर्ग जिले के पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग में 1981 में हुई थी। इस समय इनकी तनख्वाह महज 190 रुपए थी। यहां से इस अधिकारी ने लगातार तरक्की पाई और एडिशनल डायरेक्टर और योग आयोग के सचिव बनने तक का मुकाम हासिल किया।
इस संबंध में पत्र तो आया था। जानकारी संभवत: भेज दी गई है। लॉकडाउन के पहले पत्र आया था। मैं कार्यालय में पता करके बता पाउंगा।
-आर प्रसन्ना, सचिव, समाज कल्यण विभाग