भाव में कर रहे हेरफेर
छत्तीसगढ़ में लोहे का कारोबार पूरी तरह से पंजाब स्थित मंडी गोविंदगढ़ के अनुसार चलता है। इस मंडी से जो मैसेज आते हैं उसी के आधार पर कारोबारी अपने प्रोडक्ट के दाम तय करते हैं। कारोबारियों का एक समूह अपने फायदे को देखते हुए मंडी से आने वाले मैसेज को लगातार ऊपर नीचे करके भाव बदलते रहता है। टीएमटी का जो भाव फरवरी के पहले सप्ताह में 62 हजार था, वह 25 फरवरी को 65 हजार हो गया, लेकिन उसके बाद मात्र 15 दिन में 10 मार्च को यह भाव 80 हजार पर पहुंच गया। इससे पहले भी कोयले की किल्लत बताई गई थी और कई अन्य कारण भी आए, लेकिन भाव इस तरह राकेट की तरह नहीं चढ़े थे।
छत्तीसगढ़ में लोहे का कारोबार पूरी तरह से पंजाब स्थित मंडी गोविंदगढ़ के अनुसार चलता है। इस मंडी से जो मैसेज आते हैं उसी के आधार पर कारोबारी अपने प्रोडक्ट के दाम तय करते हैं। कारोबारियों का एक समूह अपने फायदे को देखते हुए मंडी से आने वाले मैसेज को लगातार ऊपर नीचे करके भाव बदलते रहता है। टीएमटी का जो भाव फरवरी के पहले सप्ताह में 62 हजार था, वह 25 फरवरी को 65 हजार हो गया, लेकिन उसके बाद मात्र 15 दिन में 10 मार्च को यह भाव 80 हजार पर पहुंच गया। इससे पहले भी कोयले की किल्लत बताई गई थी और कई अन्य कारण भी आए, लेकिन भाव इस तरह राकेट की तरह नहीं चढ़े थे।
भावों पर नियंत्रण नहीं
ंमंडी से आने वाले भावों को अपने अनुसार मार्केट में लागू करने वाले इन कारोबारियों पर किसी का नियंत्रण नहीं है। इनके भावों को फिलहाल सरकार भी नियंत्रित नहीं कर पा रही है। दूसरी महत्वपूर्ण बात भावों की आंधी में लोह प्रोडक्ट की क्वालिटी लगातार प्रभावित हो रही है।
ंमंडी से आने वाले भावों को अपने अनुसार मार्केट में लागू करने वाले इन कारोबारियों पर किसी का नियंत्रण नहीं है। इनके भावों को फिलहाल सरकार भी नियंत्रित नहीं कर पा रही है। दूसरी महत्वपूर्ण बात भावों की आंधी में लोह प्रोडक्ट की क्वालिटी लगातार प्रभावित हो रही है।
यह होगा असर
टीएमटी के रेट बढऩे से सारे सरकारी काम अटक गए हैं। सरकारी ठेकेदारों ने भी अपने काम बंद कर दिए हैं, क्योंकि उनकी लागत काफी बढ़ गई है। आम आदमी का अपने घर का सपना टूटता दिख रहा है। कंस्ट्रक्शन से जुड़ी सारी गतिविधियां अब धीरे-धीरे थमने लगी हैं। जहां चल रही है उन्होंने अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ा दिए हैं।
टीएमटी के रेट बढऩे से सारे सरकारी काम अटक गए हैं। सरकारी ठेकेदारों ने भी अपने काम बंद कर दिए हैं, क्योंकि उनकी लागत काफी बढ़ गई है। आम आदमी का अपने घर का सपना टूटता दिख रहा है। कंस्ट्रक्शन से जुड़ी सारी गतिविधियां अब धीरे-धीरे थमने लगी हैं। जहां चल रही है उन्होंने अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ा दिए हैं।
उद्योगपतियों में फूट इसलिए सट्टेबाजी हावी
औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक मंडी गोविंदगढ़ की कीमतों पर निर्भरता दरअसल स्थानीय उद्योगपतियों के संगठित नहीं होने की वजह पैदा हुई है। इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में तमाम बड़े-मध्यम और छोटे स्टील उद्योगपतियों के बीच स्टील सेक्टर में सट्टेबाजी को कंट्रोल करने के लिए बैठकें हुई, लेकिन हम इसमें असफल रहे। स्टील की कीमतें जब 80 हजार पार कर चुकी है। ऐसी स्थिति में अब फिर से उद्योगपतियों को सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक मंडी गोविंदगढ़ की कीमतों पर निर्भरता दरअसल स्थानीय उद्योगपतियों के संगठित नहीं होने की वजह पैदा हुई है। इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में तमाम बड़े-मध्यम और छोटे स्टील उद्योगपतियों के बीच स्टील सेक्टर में सट्टेबाजी को कंट्रोल करने के लिए बैठकें हुई, लेकिन हम इसमें असफल रहे। स्टील की कीमतें जब 80 हजार पार कर चुकी है। ऐसी स्थिति में अब फिर से उद्योगपतियों को सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सीधी बात (मनोज अग्रवाल, अध्यक्ष, रोलिंग मिल एसोसिएशन, छत्तीसगढ़)
1. सवाल- स्टील (सरिया) की कीमतें पहली बार 80 हजार के पार हो गई हैं। इसकी क्या बड़ी वजह है ?
जवाब-पहली सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे माल की सप्लाई में इफेक्ट आया है। विदेशी कोयला जो कि इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया से आयात होता था वह भी 70 फीसदी से अधिक कम हुआ है। इसके अलावा एसईसीएल से भी डिमांड के मुताबिक कोयला नहीं मिल पा रहा है। आयरन ओर की किल्लत पहले से ही है।
2. सवाल – मंडी गोविंदगढ़ की कीमतों का स्थानीय बाजार में कितना असर है ?
जवाब- मंडी गोविंदगढ़ से ही स्टील की कीमतें तय हो रही है। रोजाना एसएमएस के माध्यम से कीमतें मिलती है। इसी कीमत के आधार पर देशभर के प्रमुख राज्यों में स्टील की कीमतें घटती-बढ़ती रहती है।
1. सवाल- स्टील (सरिया) की कीमतें पहली बार 80 हजार के पार हो गई हैं। इसकी क्या बड़ी वजह है ?
जवाब-पहली सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे माल की सप्लाई में इफेक्ट आया है। विदेशी कोयला जो कि इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया से आयात होता था वह भी 70 फीसदी से अधिक कम हुआ है। इसके अलावा एसईसीएल से भी डिमांड के मुताबिक कोयला नहीं मिल पा रहा है। आयरन ओर की किल्लत पहले से ही है।
2. सवाल – मंडी गोविंदगढ़ की कीमतों का स्थानीय बाजार में कितना असर है ?
जवाब- मंडी गोविंदगढ़ से ही स्टील की कीमतें तय हो रही है। रोजाना एसएमएस के माध्यम से कीमतें मिलती है। इसी कीमत के आधार पर देशभर के प्रमुख राज्यों में स्टील की कीमतें घटती-बढ़ती रहती है।
3. सवाल-मंडी गोविंदगढ़ के बाजार में क्या सट्टेबाज हावी है। क्या इससे भी कीमतें बढ़ रही है?
जवाब- इससे इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वर्तमान में लगातार उछाल जारी है।
4. सवाल-छत्तीसगढ़ बड़ा स्टील हब है, उद्योगपतियों को गोविंदगढ़ की मंडी पर क्यों निर्भर रहना पड़ रहा है?
जवाब- स्टील उत्पादन में देशभर में छत्तीसगढ़ का बड़ा योगदान है। दो साल पहले उद्योगपतियों के बीच बैठक में एक रॉयशुमारी बनी थी कि हमारी स्टील की कीमतें हम खुद तय करें,लेकिन अलग-अलग स्टील कंपनियों की अलग-अलग रॉय की वजह से हम इसमें सफल नहीं हो पाए। रोलिंग मिल एसोसिएशन ने फिर से सभी उद्योगपतियों से अपील की है कि वे एकमंच पर आएं और स्टील की कीमतों के लिए मंडी गोविंदगढ़ पर निर्भर ना रहें।
5. स्टील की अब तक की रिकॉर्ड कीमतों का बाजार पर क्या असर आया है ?
जवाब- बाजार प्रभावित हुआ है। सरकारी प्रोजेक्ट 31 मार्च तक पूरे करना है। नॉन ब्रांडेड सरिया 78 हजार और ब्रांडेड सरिया 80 हजार के पार हो चुका है। यह स्टील व्यवसाय के इतिहास में पहली बार हुआ है। कीमतों का असर नए प्रोजेक्ट पर भी आ रहा है। आम लोगों को भी महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। बाजार प्रभावित हुआ है।
जवाब- इससे इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वर्तमान में लगातार उछाल जारी है।
4. सवाल-छत्तीसगढ़ बड़ा स्टील हब है, उद्योगपतियों को गोविंदगढ़ की मंडी पर क्यों निर्भर रहना पड़ रहा है?
जवाब- स्टील उत्पादन में देशभर में छत्तीसगढ़ का बड़ा योगदान है। दो साल पहले उद्योगपतियों के बीच बैठक में एक रॉयशुमारी बनी थी कि हमारी स्टील की कीमतें हम खुद तय करें,लेकिन अलग-अलग स्टील कंपनियों की अलग-अलग रॉय की वजह से हम इसमें सफल नहीं हो पाए। रोलिंग मिल एसोसिएशन ने फिर से सभी उद्योगपतियों से अपील की है कि वे एकमंच पर आएं और स्टील की कीमतों के लिए मंडी गोविंदगढ़ पर निर्भर ना रहें।
5. स्टील की अब तक की रिकॉर्ड कीमतों का बाजार पर क्या असर आया है ?
जवाब- बाजार प्रभावित हुआ है। सरकारी प्रोजेक्ट 31 मार्च तक पूरे करना है। नॉन ब्रांडेड सरिया 78 हजार और ब्रांडेड सरिया 80 हजार के पार हो चुका है। यह स्टील व्यवसाय के इतिहास में पहली बार हुआ है। कीमतों का असर नए प्रोजेक्ट पर भी आ रहा है। आम लोगों को भी महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। बाजार प्रभावित हुआ है।