ट्रेनें-बसें ठप, राखी बांधने आने के लिए बहनों को होगी मुश्किल
रक्षाबंधन पर भी कोरोना का साया
29 साल बाद सावन पूर्णिमा पर सोमवार और सर्वार्थ सिद्धि का विशेष संयोग

रायपुर . सब तीज-त्योहार फीके पड़ गए हैं, क्योंकि कोरोना साया बना हुआ है। नागपंचमी जैसा त्योहार घरों में मना। इसके बाद ही तीज-त्योहारों की बहार आती है। सप्ताहभर पहले से भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व रक्षाबंधन 3 अगस्त को है। संयोग भी भी ऐसा बन रहा है कि पूर्णिमा तिथि सावन का पांचवां सोमवारऔर सर्वार्थ सिद्धि योग है, जो उत्तराषाढ़ नक्षत्र में 29 साल बाद बनने जा रहा है। ज्योतिष में विशेष फलदायी माना गया है। इस तरह के शुभ संयोग में खुशियों के ठहाके घरों में कैसे गूंजेंगे, यह चिंता बनी हुई है।
कोरोना के संकट में राजधानी के आसपास के जिलों से ही कैसे आना-जाना कर सकेंगे, क्योंकि बसें और ट्रेनों के पहिए थमे हुए हैं। इन स्थितियों में जिन भाई और बहनों के पास खुद के वाहन हैं, वे तो एक-दूसरे के घर आसपास के जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों से आकर रक्षाबंधन का पर्व मना सकेंगे, लेकिन जिनके लिए बसें और ट्रेनें ही साधन हैं उनका उत्सव फीका दिख रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है, जब तीज-त्योहारों जैसे माहौल नहीं रहा। इन स्थिति में रक्षाबंधन पर्व मनाने के तरीके पर भी भाई-बहन सोचने लगे हैं। क्योंकि पर्व नजदीक होने पर दूसरों राज्यों में रह रहीं बहनों की राखियां पोस्ट ऑफिस और कुरियर के माध्यम से पहुंचने लगी हैं।
सुबह 9.30 बजे से दिनभर मुहूर्त
पंडित यदुवंशमणि त्रिपाठी के अनुसार रक्षाबंधन पर्व पर सुबह 9.28 बजे तक भद्रा है। इसके बाद दिनभर शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दिन सबसे विशेष उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सर्वाद्र्ध सिद्धि योग रहेगा।
वीडियो कालिंग का अपनाएंगे तरीका
राजेंद्र कुमार कहते हैं कि उनकी बहन जगदलपुर में रहती हैं, जो हर साल रक्षाबंधन पर्व पर आ जाती थीं। लेकिन इस बार स्थितियां बदली हुई है, ऐसे में वीडियो कालिंग के माध्यम से रक्षाबंधन पर्व मनाने की सोच रहे हैं। वहन को उपहार देने के लिए खरीदी करने में भी दिक्कतें हैं, क्योंकि दुकानें अभी बंद हैं।
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