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उम्मीद की किरण

locationरायपुरPublished: Oct 23, 2018 06:26:28 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कुंड में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन

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उम्मीद की किरण

दुर्गा उत्सव समितियों द्वारा खारून नदी के किनारे बने कुंड में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन करना सराहनीय और अनुकरणीय है। क्योंकि, प्रतिमाओं के विसर्जन से न केवल नदी उथली और प्रदूषित होती है, बल्कि मनुष्य सहित पशु-पक्षी, जीव-जंतु व पेड़-पौधे तक प्रभावित होते हैं। ऐसे में जिस नदी को राज्य की राजधानी रायपुर की जीवनदायिनी माना जाता है, उस नदी के संरक्षण, संवर्धन, शुद्धता व अविरलता के प्रति गंंभीरता, उत्साह व जागरुकता बहुत जरूरी है। रायपुर शहर का विकास और विस्तार खारून के ही वरदान का परिणाम है। बावजूद इसके शासन-प्रशासन व शहरवासी वर्षों से खारून नदी के उद्धार व स्वच्छता के प्रति लापरवाह बने हुए हैं। शहर के नालों का गंदा पानी नदी में अनवरत गिरता रहा है। लिहाजा, इन नालों का उपचार करना खारून की सेहत के लिए महती आवश्यकता है। खारून ने शहरवासियों की प्यास ही नहीं बुझाई, बल्कि उनके विकास के सपनों को भी सच किया है। उल्लेखनीय है कि खारून के उद्धार के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 331 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान रखा गया है। इसके तहत महादेवघाट का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। नालों के उपचार का भी प्रयास हो रहा है। सवाल सबसे बड़ा यही है कि क्या प्रदूषण से जूझ रही प्रदेश की अन्य नदियों को कभी ऐसे ही किसी संकल्प, सक्रियता, जागरुकता व बजट का सहारा मिलेगा?
अफसोसनाक है कि हमारे सिस्टम के प्रवाह में भी लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और लापरवाही जैसी गंदगियां गहरे तक पैठ गई हैं। यही वजह है कि खारून, शिवनाथ, महानदी, केलो, पैरी सहित प्रदेश की ज्यादातर नदियां प्रदूषण, गंदगी, जलकुंभी, कटाव आदि के दंश को झेल रही हैं। नदी में आने वाले पानी का उपयोग तो हम भरपूर करते हैं, लेकिन जब बात नदी के संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा की आती है तो हम इस बढ़ती समस्या को भविष्य के लिए टाल देते हैं। लेकिन आशा व उम्मीद की एक किरण है कि अगर राजधानी में बहने वाली नदी को प्रदूषणमुक्त कर पाए तो राज्य की बाकी नदियों की सुध अवश्य ली जाएगी। बहरहाल, प्रदेश की सभी नदियों में प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए विसर्जन कुंड का निर्माण व नालों का उपचार किया जाना चाहिए। वर्ना, एक दिन नदियों का पानी न पीने लायक रहेगा, न निस्तारी व सिंचाई के लिए उपयोगी।
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