आरोपी के वकील एनडी मानिकपुरी ने बताया कि नरेंद्र को अंतिम समय से प्रस्तावक के माध्यम नामांकन फार्म दिलाया गया। चुनाव लडऩे के संबंध में एडवोकेट के माध्यम से न्यायालय से अनुमति के लिए आवेदन किया गया। कोर्ट जेल के सरकुर्लर के अनुसार जेलर को अनुमति देने के लिए कहा। जेल के सर्कुलर में कोई प्रावधान नहीं होने के कारण जेलर ने अनुमति देने इंकार कर दिया। इसके बाद एडवोकेट ने राज्य निर्वाचन आयोग से विचाराधीन बंदी होने का हवाला देकर आवेदन किया। जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन को उचित कार्रवाई के लिए निर्देशित किया।
जिला निर्वाचन से अनुमति मिलने के बाद जेल में ही प्रत्याशी का शपथ पत्र नोटरी के माध्यम से तैयार किया गया। इसके बाद जेलर को नामांकन सौंप दिया गया। नामांकन जिला निर्वाचन द्वारा स्वीकार कर अब चुनाव चिन्ह दे दिया गया है।
वर्ष की उम्र में नरेंद्र यादव ने पहली बार सरपंच का चुनाव लड़ा था। स्थानीय लोगों का कहना है कि उसने अपने कार्याकाल में गांव में स्टेडियम, पौध निर्माण कराया आज 3 हजार पेड़ बन चुके हैं। इसी तहर तलाब का गहरीकारण और पचरी निर्माण काम कराया गया।
विचाराधीन बंदी को चुनाव लडऩे की अनुमति दी जा सकती है। इसी आधार पर नामांकन स्वीकार किया गया है।
राजीव पांडे उप निर्वाचन अधिकारी, रायपुर