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फल व्यापारी संघ के सचिव आनंदराम ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा व बस्तर संभाग में जामुन की पैदावार सबसे ज्यादा होती है। गरियाबंद और ओडिशा बार्डर से भी जामुन की आवक होती है। बिलासपुर संभाग में मारवाही से लगे कोटमी, भांड़ी, रूमगा, बस्तीबगरा, मटियाडांड, देवरीकला में जामुन होता है। बस्तर संभाग के कांकेर, दुर्गूकोंदल, भानुप्रतापपुर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, जगदलपुर के जंगलों में भी जामुन की पैदावार होती हैं।
औषधिय गुणों से भरपूर है
जामुन शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि जामुन के फल के साथ ही इसके बीज में कई औषधिय गुणों से भरे हैं। जामुन डायबिटिज को नियंत्रित करता है। ब्लड में शर्करा के लेवल को सामान्य करता है। इसके बीज को सूखा के चूर्ण बनाकर उपयोग किया जाता है। जामुन पित्त शामक है। गर्मी में लोगों को पित्त की समस्या ज्यादा रहती है। जामुन का सेवन करने से यह ठीक होता है। उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव होने से पाचन तंत्र की समस्या आती है। इस समय जामुन पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। और भूख भी बढ़ाती है।