साढ़े तीन करोड़ में नई मशीन और शिफ्टिंग
एसीआई में नई मशीन और कैथलैब की शिफ्टिंग पर साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च होंगे। नई मशीन की कीमत करीब डेढ़ करोड़ है। नई मशीन के आने के बाद पुरानी मशीन को कंपनी अपनी साथ लेकर जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पुरानी मशीन का समय रहते अपग्रेडेशन हो गया होता तो करीब १० साल तक नई मशीन की जरूरत नहीं पड़ती।
एसीआई में नई मशीन और कैथलैब की शिफ्टिंग पर साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च होंगे। नई मशीन की कीमत करीब डेढ़ करोड़ है। नई मशीन के आने के बाद पुरानी मशीन को कंपनी अपनी साथ लेकर जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पुरानी मशीन का समय रहते अपग्रेडेशन हो गया होता तो करीब १० साल तक नई मशीन की जरूरत नहीं पड़ती।
प्रदेश का इकलौता अस्पताल
आंबेडकर अस्पताल के एसीआई को छोड़कर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में कॉर्डियक सर्जन और कॉर्डियोलॉजिस्ट नहीं हैं। डॉ. स्मित श्रीवास्तव एक मात्र कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं, जबकि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कम से कम दो और कॉर्डियोलॉजिस्ट की यहां जरुरत है। स्टाफ नर्स, तकनीशियन भी पर्याप्त नहीं है जबकि सेटअप में 200 पद हैं।
आंबेडकर अस्पताल के एसीआई को छोड़कर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में कॉर्डियक सर्जन और कॉर्डियोलॉजिस्ट नहीं हैं। डॉ. स्मित श्रीवास्तव एक मात्र कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं, जबकि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कम से कम दो और कॉर्डियोलॉजिस्ट की यहां जरुरत है। स्टाफ नर्स, तकनीशियन भी पर्याप्त नहीं है जबकि सेटअप में 200 पद हैं।
जनवरी-फरवरी तक नई मशीन आने की उम्मीद है। उसी दौरान शिफ्टिंग का काम भी हो जाएगा। साढ़े तीन करोड़ खर्च होगा। पुरानी मशीन से डर तो रहता है कि कहीं प्रोसिजर के बीच में खराब न हो जाए।
डॉ. स्मित श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, कॉर्डियोलॉजी, एसीआई