– राजनांदगांव के किसान से जापानी कंपनी ने किया अनुबंध
80-90 रुपए किलो बिकने वाली अलसी 220 रुपए में जाएगी जापान
रायपुर. राजधानी में आयोजित पहला अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का रविवार को समापन हो गया। अंतिम दिन प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए किसानों और उत्पादक समूहों के उत्पाद स्थानीय बिक्री के लिए खुले। लोगों ने जमकर खरीददारी भी की। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत ने भी प्रदर्शनी देखी। इस आयोजन ने किसानों के सामने आय बढ़ाने के नए रास्ते खोल दिए हैं।
विदेशी खरीददारों और देशी निर्यातकों ने कुछ उत्पादों के लगभग दोगुने मूल्यों पर खरीददारी का प्रस्ताव दिया है। राजनांदगांव के हरदी गांव से आए नोहर सिंह जंघेल के साथ जापान की एक कंपनी ने हर सीजन में एक मीट्रिक टन जैविक अलसी खरीदने का अनुबंध किया है। वह भी 220 रुपया प्रति किलोग्राम की दर से। नोहर सिंह ने बताया, स्थानीय बाजार में सामान्य अलसी की कीमत 45 रुपए प्रति किलोग्राम है।
जैविक खेती में तैयार अलसी 80 से 90 रुपए में बिकती है। जापान को यही जैविक और गुणवत्ता वाली अलसी चाहिए इसलिए वे लोग 220 रुपए किलो ले रहे हैं। हैदराबाद के एक निर्यातक ने भी उनसे 200 रुपया प्रति किलोग्राम की दर से अलसी खरीदने का अनुबंध किया है। बस्तर ग्रामोत्थान सेवा समिति, बकावण्ड के अध्यक्ष सत्यानंद द्विवेदी ने बताया, उन्होंने जापान से 750 रूपये किलो की दर से 6 टन काजू बेचने का अनुबंध किया है। अभी तक वे उद्यानिकी विभाग की मदद से स्थानीय बाजार में ही बिक्री करते थे।
जशपुर जिले की सहयोग ग्रीन प्लस आदिवासी सहकारी समिति, दुलदुला से जापान की सरताज कम्पनी ने प्रतिवर्ष 60 क्विंटल काजू खरीदने का अनुबंध किया है। गुरुग्राम के किसान नेटर्वक ने जशपुर की नाशपाती के लिए हरित क्रांति आदिवासी सहकारी समिति, बगीचा से एमओयू किया है। यह कंपनी हर साल 10 हजार क्विंटल नाशपाती खरीदकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचेगी। कृषि उत्पादन मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक अभिनव अग्रवाल का कहना है कि जापान एक बहुत कठिन बाजार है। अगर छत्तीसगढ़ के उत्पाद वहां के बाजार में जगह पाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।
कोदो-कुटकी के भी दिन बहुरेंगे
कबीरधाम के जयगणेश कृृषक समूह और बस्तर के कुछ समूहों ने सम्मेलन में जैविक कोदो, कुटकी, रागी, सावा, लाल चावल दिखाया था। किसानों ने बताया कि ओमान और अमरीका से 25-25 मीट्रिक टन कोदो और कुटकी का एमओयू हुआ है। इनको भी स्थानीय बाजार की तुलना में दोगुने के आसपास दाम मिल रहे हैं।
किसानों की उम्मीद जगी, खरीददार भी तैयार
किसानों को आयोजन से बेहतरी की उम्मीद जगी है। वहीं कर्इ देशों के खरीददार आगे भी बड़े सौदों के लिए तैयार हैं। डोंगरगढ़ के किसान शिवेन्द्र सिंह ने कहा, उन्हें पहली बार ऐसा मंच मिला है, जिसमें कोई बिचौलियां नहीं हैं, वह सीधे खरीददारों से बात कर सकते हैं। पश्चिम अफ्रीकी देश घाना से आये सीमॉन बोके और कैथ कोलिंगवूड विलियम ने बताया, वे लोग मुनगा और ब्राउन राइस में संभावना देख रहे हैं। अपने देश में बात करने के बाद वे यहां से कृषि उत्पाद खरीदना चाहते हैं।