रायपुर

चैत्र नवरात्र 2021: पंचमी आज, जसगीत न जगराता, जंवारा कलश पर दूसरा कलश चढ़ाने की रस्में होगी पूरी

Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2021) की पंचमी तिथि शनिवार को है। परंतु न जसगीत की धूम न जगराता। कोरोना का ऐसा कहर कि सबकुछ बंद है। देवी मंदिरों में सिर्फ पुजारी और घर-घर मातारानी की पूजा-अर्चना भक्त कर रहे हैं।

रायपुरApr 17, 2021 / 10:05 am

Ashish Gupta

चैत्र नवरात्र 2021: पंचमी आज, जसगीत न जगराता, जंवारा कलश पर दूसरा कलश चढ़ाने की रस्में होगी पूरी

रायपुर. चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2021) की पंचमी तिथि शनिवार को है। परंतु न जसगीत की धूम न जगराता। शहर के देवी मंदिरों सहित मोहल्लों में जसगीत गायक रातभर प्रस्तुति दिया करते थे। कोरोना का ऐसा कहर कि सबकुछ बंद है। देवी मंदिरों में सिर्फ पुजारी और घर-घर मातारानी की पूजा-अर्चना भक्त कर रहे हैं। शुक्रवार को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा का अभिषेक पूजन आरती की गई। शनिवार को पंचमी तिथि पर जंवारा कलश पर दूसरा कलश चढ़ाने की रस्में पूरी की जाएंगी।

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नवरात्र पर्व की प्रतिपदा तिथि पर मनोकामना घट स्थापना के साथ जंवारा बोये थे, वह अंकुरित होकर अब लहराने लगा है। नौ दिनों तक माता की उपासना करने वाले जंवारा का अधिक उत्सव मनाते हैं। यानि कि माता रानी की ज्योत के पास फुलवारी सजाने की परंपरा है। जिसे ग्रामीण अंचलों में माता की महिमा गान कर मनाते हैं।

चूंकि जंवारा बढ़ जाता है तो उस पर ईंट और पत्थर का टेका लगाकर दूसरा कलश चढ़ाने की परंपरा को पूरा करते हैं, ताकि ज्योत का ताप ऊपर तक न पहुंचे। पंडित मनोज शुक्ल के अनुसार यह हमारी परंपरा है। माई की प्रधान ज्योत कलश के ऊपर कांसे का लोटा रखकर ज्योति को ऊपर उठाया जाता है। जिसे कलश चढ़ाना कहते हैं। माता की भक्ति की यह रस्म पंचमी तिथि पर पूर्ण करेंगे।

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जंवारा माता को सबसे अधिक प्रिय
पंडितों के अनुसार जिस तरह भगवान विष्णु को तुलसी, शिव को बिल्वपत्र, गणेशजी को दूर्वा, श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री व हनुमानजी को सिंदूर प्रिय है, उसी तरह मां भगवती को प्रकृति पूजा की प्रतीक जंवारा सबसे अधिक प्रिय है। इसीलिए माता के भक्त प्रतिपदा तिथि पर मनोकामना घट स्थापना के साथ ही जंवारा बोकर उपासना करते हैं। जिसे बाजे-गाजे के साथ नवमी तिथि पर विसर्जित करते हैं।

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