रायपुर

पहले 40 फीट ऊपर झाड़ में मोबाइल को लटकाते हैं, फिर ब्लूटूथ से करते हैं बात

जिले के वनांचल में माओवादियों से लोहा ले रहे जवानों को पीने के लिए शुद्ध पानी तक नसीब नहीं है। वे मजबूरी में आयरन युक्त पी रहे है। और तो और उन्हें अपने परिजनों से बात करने के लिए 40 फीट ऊपर झाड़ में मोबाइल को लटकाना पड़ता है। इसके बाद ब्लूटूथ से बात करते है।

रायपुरOct 09, 2018 / 07:05 pm

चंदू निर्मलकर

पहले 40 फीट ऊपर झाड़ में मोबाइल को लटकाते हैं, फिर ब्लूटूथ से करते हैं बात

रायपुर/धमतरी. जिले के वनांचल में माओवादियों से लोहा ले रहे जवानों को पीने के लिए शुद्ध पानी तक नसीब नहीं है। वे मजबूरी में आयरन युक्त पी रहे है। और तो और उन्हें अपने परिजनों से बात करने के लिए 40 फीट ऊपर झाड़ में मोबाइल को लटकाना पड़ता है। इसके बाद ब्लूटूथ से बात करते है।
धमतरी जिले के वनांचल नगरी-सिहावा क्षेत्र में माओवादियों की हरकतें जब से बढ़ी हैं, तब से राज्य शासन ने यहां सीआरपीएफ और सीएफ सशस्त्र जवानों के साथ ही जिला पुलिस बल को तैनात किया हैं, लेकिन इन जवानों को अब तक आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल सकी। गौरतलब है कि नगरी-सिहावा अंचल में सीआरपीएफ और सीएफ की तीन-तीन कंपनियां हैं, जो ग्राम बिरनासिल्ली, मेचका, बोराई, बहीगांव, नगरी और खल्लारी कैम्प में तैनात है। सभी कंपनियों में सौ-सौ की संख्या में जवान हैं। इस तरह वनांचल में तैनात करीब 6 सौ केन्द्रीय बल के जवान अपनी सेवा दे रहे हैं। दुर्भाग्य यह है कि उन्हें पानी, बिजली और दूरसंचार जैसी सेवाओं के लिए जुझना पड़ रहा हैं। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि उन्हें शुद्ध पानी पिलाने के लिए एक बोर की व्यवस्था की गई है। गर्मी की सीजन में यहां का पानी 150 फीट नीचे चला गया है। वर्तमान में इस पम्प से आयरनयुक्त पानी निकल रहा है। कुछ जवान कृत्रिम तरीके से टीन में रेत भरकर पानी को शुद्ध कर पीने के लिए इस्तेमाल करते है। एक जवान ने बताया कि पानी के उपचार के लिए तीन टीन में छिद्र कर उसमें रेत भर दिया जाता है। सबसे पहले एक नंबर के टीन में पानी भर दिया जाता है। दूसरे नंबर की टीन में रेत भर देते है। इसके बाद नीचे वाले टीन में कोयला रख दिया जाता है। इससे रेत और कोयला से छनकर उसके आयरन की मात्रा को दूर हो जाती है और फिर उस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए किया जाता है।

मोबाइल टॉवर की कमी

वनांचल में सबसे बड़ी नेटवर्किंग की समस्या है। यहां बीएसएनएल का कवरेज नहीं होने के कारण जवानों को अपने अफसरों और नाते-रिश्तेदारों से बात करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो महीने भर तक घर में बात नहीं हो पाती। हालांकि कुछ जवानों ने इसका भी देशी जुगाड़ ढूंढ लिया। अब वे कवरेज ढूंढने 40 फीट तक ऊंचे साल और सरई के पेड़ में रस्सी के सहारे पहले मोबाइल में नंबर डायल कर पेड़ के अंतिम छोर में लटका देते हैं, इसके बाद कवरेज मिलते ही ब्लूटूथ के जरिए बातचीत कर लेते हैं। जवानों ने बताया कि मोबाइल टॉवर की सुविधा अगर मिल जाए, तो उन्हें भी अपने परिजनों से संपर्क करने में कोई परेशानी नहीं होगी।

फिल्टर प्लांट की दरकार
कई जवान ऐसे है, जो इस पचड़े में पडऩे के बजाए बोर से निकले पानी को पी जाते है। ऐसे में वे आए दिन बीमार हो रहे है। जवानों का कहना है कि पानी को फिल्टर करने के लिए व्यवस्था कर दी जाए, तो उन्हें काफी राहत मिलेगी। इसके लिए उन्होंने अपने विभाग के आला अधिकारियों को अवगत भी करा दिया है।

सीआरपीएफ समेत अन्य बटालियनों के जवानों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। सीतानदी अभ्यारण्य क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या है। बीएसएनएल विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही यहां टॉवर लग जाएगा।
रजनेश सिंह, एसपी
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