उम्मीद नहीं पूरा यकीन था
जया कहती हैं कि मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा यकीन था अपने गोल को अचीव करने का। मैंने पल-पल इस ख्वाब को जीया है। मेरी खुशी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मैं भूल जाती हूं कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है। सपनों का पूरा होना एक अलहदा सुकून देता है।
परिवार और मैनेजमेंट का मिला सपोर्ट
जया ने बताया कि बीमारी के दौरान परिवार और आइआइएम मैनेजमेंट का बहुत सपोर्ट रहा। मुंबई के ब्रीचकैंडी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान कीमो थैरेपी भी हुई। पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में तबीयत खराब हो जाया करती थी। हर तीन महीने में चेकअप के लिए मुंबई जाना पड़ता था। अभी एक ऑपरेशन हुआ है और दो महीने बाद एक और ऑपरेशन होना है। जबकि इलाज अभी पांच साल चलेगा। दीक्षांत समारोह में शामिल होने सीेधे मुंबई से आईं हूं।
गर्व हो रहा है अपनी बिटिया पर
जया गुप्ता ने कैंसर जैसी बीमारी को मात देते हुए पीजीपीडब्ल्यूइ में गोल्ड मैडल अचीव किया। उनके पैरेंट्स बीके-मंजू अग्रवाल ने नम आंखों से कहा कि हमें अपनी बिटिया पर गर्व हो रहा है। जिन हालातों में इसने एग्जाम की तैयारी वह दुखद था लेकिन आज गोल्ड मिलता देखकर हम सारी बातों को भूल चुके हैं। हम लोगों को यही संदेश देना चाहते हैं कि अपने बच्चों के सपनों में जीयें। उनके गोल पर यकीन रखें। उन्हें समझें।