कांग्रेस ने आवेदन में 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए बने नानावती जांच आयोग और अयोध्या ढांचा विध्वंस मामले की जांच के लिए बने लिब्राहन आयोग का उदाहरण दिया है। आवेदन के साथ दोनों आयोगों के समक्ष गवाही के लिए बुलाए गए लोगों की सूची दी है। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव, उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह आदि का नाम शामिल है।
चुनाव तक कांग्रेस इस मसले को राजनीतिक रूप से काफी गर्म कर देना चाहती है। भूपेश बघेल पिछले वर्ष से ही कई मंचों से झीरम को राजनीतिक साजिश बताते रहे हैं। एेसे में गवाही और प्रतिपरीक्षण के जरिए कांग्रेस मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा करना चाहती है। आयोग में आवेदन लगाने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने ट्विट किया ‘झीरम के शहीदों को इंसाफ दिलाकर रहेंगे। न्यायालय में भी और जनता की अदालत में भी। भूपेश बघेल ने कहा, मुख्यमंत्री रमन सिंह राज्य के यूनिफाइड कमांड के प्रमुख हैं। इस नाते झीरम कांड के बारे में उनके पास बहुत सी एेसी सूचनाएं हो सकती हैं, जो अब तक सामने नहीं आई्र है।