रायपुर का ये हाल
जानकारी के मुताबिक, ओपीडी में आम दिनों में जितनी जांच होती है, उससे 30 प्रतिशत कम मरीजों की जांच हो रही है। इसके अलावा ऑपरेशन, डिलीवरी जैसे गंभीर मामलों में भी लोगों को मुसीबतों से दो-चार होना पड़ा। जूनियर डॉक्टरों(junior doctors) का कहना है कि 4 साल से उनके मानदेय में वृद्धि नहीं की गई है। बीते 2 सालों से वे मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस पर मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव तक भी बात हो चुकी है, लेकिन हर बार कोरा आश्वासन ही दिया गया। अब काम पर तभी लौटेंगे जब उनकी मांग पूरी हो जाएगी।
जगदलपुर में भी बिगड़ी स्थिति
छत्तीसगढ़ में गुरुवार से करीब 3000 जूनियर डॉक्टर(junior doctors) हड़ताल पर चले गए हैं। इसके साथ ही बस्तर के जूनियर डॉक्टरों ने भी हड़ताल करते हुए धरना प्रदर्शन किया। इसके चलते बस्तर के सबसे बड़े अस्प्ताल डिमरापाल मेडिकल कॉलेज की स्थिति बिगड़ गई है। जूनियर डॉक्टर्स(junior doctors) ही मरीजों का ज्यादा ध्यान रखते हैं। जिनके हड़ताल पर जाने से परिजनों को ईलाज के लिए परेशानीयों का सामना करना पड़ा।
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राजनांदगाव में असपतालों में सीनियर डॉक्टरों पर बढ़ा दबाव
केजुअल्टी और आईसीयू(ICU) में बेहद गंभीर मरीज रहते हैं, जिन्हें 24 घंटे डॉक्टरों की जरूरत पड़ती है। यहां आने वाले मरीजों को आपातकाल चिकित्सा की जरूरत पड़ती है, इसलिए यहां तीन से चार जूनियर डॉक्टरों(junior doctors) की 24 घंटे ड्यूटी होती है। हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों(junior doctors) का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती है, वे हड़ताल पर रहेंगे।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल(Medical College Hospital) में रोजाना तीन सौ से अधिक ओपीडी मरीज पहुंचते हैं। सात सौ बिस्तर के इस अस्पताल में ओपीडी से लेकर सभी वार्डों में 140 से अधिक जूनियर डॉक्टरों की 24 घंटे ड्यूटी होती है। यहां सात सौ से अधिक जूनियर डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। इन डॉक्टरों की ड्यूटी ओपीडी से लेकर केजुअल्टी, आईसीयू सहित सभी वार्डों में रहती है। ऐसे में इनके हड़ताल में जाने से सीनियर डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों पर काम का दबाव बढ़ गया है।